आज कम्प्यूटर में अपनी पुरानी फाइलों को देखते हुए मुझे यह कविता मिली। जो मैंने किसी पत्रिका या अखबार से लिखी थी।
डेविस लेबर्टोव की लिखी इस कविता का हिन्दी अनुवाद चन्द्र प्रभा पाण्डेय द्वारा किया गया है।
अगर रथ और पैरों में चुनाव करना हो
तो मैं पैरों को चुनूंगी
मुझे रथ की उंची गद्दी पसंद है
उसकी ललकारती रफ्तार, दुस्साहसपूर्ण हवा,
जिसकी तेज गति को पकड़ पाना मुश्किल है
परन्तु मैं जाना चाहती हूं,
बहुत दूर,
और मैं उन रास्तों पर चलना चाहती हूं
जहां पहिये नहीं जा सकते
और मैं नहीं चाहती हमेशा रहना
घोड़ों और साज सामान के बीच
खून, झाग और धूल।
मैं उनके विचित्र सम्मोहन से अपने को मुक्त
करना चाहती हूं,
मैं यात्रा में पैरों को एक
अवसर देना चाहती हूं।
19 comments:
सुंदर ..इसको पढ़वाने का शुक्रिया
बहुत अच्छे भाव हैं इस कविता में....इसे हिन्दी में अनुवाद करने के लिए चंद्र प्रभा पांडेय को धन्यवाद....आभार आपका भी यहां प्रकाशित करने के लिए।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है इस हिन्दि अनुवाद के लिये शुक्रिया
बहुत आभार इसे हमारे साथ बांटने का.
दिलचस्प !
बहुत यथार्थ मयी कविता.
रामराम.
सही कहा है. चक्के भी हर जगह नहीं पहुँच पाते. पैरों का सहारा ही लेना पड़ता है. आभार.
विनीता जी..
बढ़िया रहा ये कविता मिल गई...फाइलों के बीच से बाहर आ गई हम लोगों के बीच। एक अच्छी कविता पढ़वाने के लिए आभार। अच्छी रचना है...कर्म की महत्ता को केन्द्रित करती।
विनीता जी, नमस्कार
बढ़िया लगा ये कविता पढ़ कर,
मैं तो सोच रहा हूँ कि ऐसी कौन सी जगह है कि जहाँ पहिये नहीं पहुँच सकते. मेरे ख्याल से वो जगह है "पहाड़"
शुक्रिया आपका यह कविता बाटने के लिए. सुंदर ब्लॉग
धन्यवाद
एक अच्छी कविता को पढवाने को शुक्रिया।
बेहतरीन संदेश देती एक प्रतीकात्मक कविता पढ़ाने के लिए आभार।
Bahut achhi kavita lagayi hai apne vineeta.
Bahut Achhi
bahut sundar...
Bhavpurna kavita chuni hai aapne. Shukriya.
धन्यवाद आपका - सुंदर रचना पढ़वाने के लिए.साधुवाद चन्द्र प्रभा पांडे का सुंदर अनुवाद के लिए. ऐसा लगता है मानो अनुवाद न हो कर कोई मौलिक रचना है.
इस शानदार कविता को पढवाने का शुक्रिया।
बहुत खूब......इस कवि को बहुत-बहुत साधुवाद........आपको भी धन्यवाद.......पैरों पर विश्वास दरअसल ख़ुद पर विश्वास है..........ख़ुद पर विश्वास जिन्दगी पर विश्वास....जिन्दगी पर विश्वास उपरवाले पर विश्वास......वैश्विक चेतना दरअसल इसी का तो नाम है........है ना....!!??
Post a Comment