आज कम्प्यूटर में अपनी पुरानी फाइलों को देखते हुए मुझे यह कविता मिली। जो मैंने किसी पत्रिका या अखबार से लिखी थी।
डेविस लेबर्टोव की लिखी इस कविता का हिन्दी अनुवाद चन्द्र प्रभा पाण्डेय द्वारा किया गया है।
अगर रथ और पैरों में चुनाव करना हो
तो मैं पैरों को चुनूंगी
मुझे रथ की उंची गद्दी पसंद है
उसकी ललकारती रफ्तार, दुस्साहसपूर्ण हवा,
जिसकी तेज गति को पकड़ पाना मुश्किल है
परन्तु मैं जाना चाहती हूं,
बहुत दूर,
और मैं उन रास्तों पर चलना चाहती हूं
जहां पहिये नहीं जा सकते
और मैं नहीं चाहती हमेशा रहना
घोड़ों और साज सामान के बीच
खून, झाग और धूल।
मैं उनके विचित्र सम्मोहन से अपने को मुक्त
करना चाहती हूं,
मैं यात्रा में पैरों को एक
अवसर देना चाहती हूं।