ऐना स्वैल और उनका उपन्यास ब्लैक ब्यूटी
ऐना स्वैल का जन्म 30 मार्च, 1820 को यारमाउथ में हुआ था। उसके पिता आइजिक स्वैल व्यापारी थे और उनकी माता मैरी स्वैल बैलेड्स की सफल लेखिका थी। उनमें से उनका एक बैलेड `मदर्स लास्ट वर्डस´ को अपार सफलता मिली थी।
ऐना स्वैल के जन्म के समय उनके पिता का व्यापार बेहद खराब स्थिति में चल रहा था। उनका परिवार लंदन जाने के लिये मजबूर था जहां वह नया व्यापार शुरू कर सकते थे। पर इस बार भी नाकामी ही हाथ लगी। जिसके चलते उन्हें फिर जगह बदलनी पड़ी और इस बार जगह का नाम था डैलस्टन। ऐना और उसके छोटे भाई को पहली शिक्षा परिवार से मिली और उसके बाद उन्हें स्कूल में भर्ती कर दिया गया। एक दिन जब ऐना स्कूल से घर आ रही थी तो वह अचानक गिर गई और उन्हें अपने दोनों ऐिड़यों में दर्द महसूस होने लगा। हालांकि यह हादसा छोटा सा ही था पर डॉक्टरों की अज्ञानतावश ऐना स्वैल हमेशा के लिये अपाहिज हो गई।
सन 1835 में आइजक बिग्रटन में बैंक मैनजर के रूप में नियुक्त हो गये। यहां पर भी डॉक्टर ने काफी प्रयास किया पर ऐना को ठीक करने के लिये पर असफल ही रहे। सन् 1845 में ऐना की मां उन्हें जर्मनी ले आयी। जहां उनका फिर से इलाज करवाया गया। इस बार ऐना को थोड़ा बहुत फायदा भी हुआ वह अपने पैरों का थोड़ा इस्तेमाल कर पाने लगी। पर ऐना का स्वास्थ्य दिन ब दिन खराब ही होता गया और यही कारण था कि प्रत्येक जीवित चीजों के प्रति उनका विश्वास और प्रेम बढ़ने लगा और यहीं से शुरूआत हुई `ब्लैक ब्यूटी´ उपन्यास की।
`ब्लैक ब्यूटी´ एक घोड़े की आत्मकथा है। इस उपन्यास के प्रमुख घोड़े का नाम ब्लैक ब्यूटी है जो अपने जन्म के बाद से अपने पूरे जीवन के बारे में बताता है कि उसका प्रथम स्थान जहां वह पैदा हुआ था वह कैसा था। अपनी मां के साथ उसके क्या संबंध रहे। जब वह थोड़ा बड़ा हुआ तो किस प्रकार उसे पहली बार जीन पहनायी और उसके पैरों में नाल ठोकी। उसके बाद किस तरह वह अपने नये घर में नये मालिक के पास आ गया। वहां जो उसके नये दोस्त-जिंजर, मैरीलैग और सर ऑलिव आदि बने उनके बारे में बताता है। साथ ही हालातों के चलते उसे किस तरह नये-नये घर बदलने पड़े और उसे कैसे बहुत बुरे से बुरे और कठिनम दिनों के झेलना पड़ा यह भी बड़े ही रोचक अंदाज में बताता है। किताब को पढ़ने पर कहीं भी यह नहीं लगता कि इसे किसी इंसान ने लिखा है। यह सचमुच किसी घोड़े द्वारा लिखी गयी ही लगती है। इसमें बने चित्र इस किताब को और भी ज्यादा सजीव बना देते है।
यह उपन्यास ऐना के पूरे जीवन का एक मात्र कार्य है जो उनके द्वारा किया गया। इस उपन्यास की शुरूआत 1871 में हुई और इसे पूरा करने में लगभग 6 वर्ष का समय लगा। इस दौरान ऐना ज्यादातर समय अपने घर के सोफे पर ही रही। इस उपन्यास का काम रफ कागज पर पेंसिल से किया गया जिसे उसकी मां ने फेयर किया। यह उपन्यास 1877 में प्रकाशित हुआ और ऐना अपने द्वारा लिखे एक मात्र उपन्यास की तारीफ सुनने के लिये ही जीवित रही। उनका देहान्त 1878 में लगास में नौरविच के निकट हुआ। 1994 तक इस उपन्यास की लगभग 4,00,000 प्रतिया बिक चुकी थी। बाद में इसका अनुवाद जर्मन, फ्रेंच और इटेलियन भाषाओं में भी हुआ। हांलांकि इस उपन्यास को बहुत लोगों की निंदा भी झेलनी पडी पर इस उपन्यास के बाद से घोड़े के ऊपर होने वाले अत्याचारों में काफी कमी आयी और उनके इलाज और देखभाल की तरफ ध्यान दिया जाने लगा।
पूरे उपन्यास के बारे में यहां बता पाना मुश्किल है इसलिये किताब में बने स्कैच दिये जा रहे हैं उम्मीद है उपन्यास को में समझने में इनसे मदद मिलेगी।