यह मेरे ब्लॉग की भी 100 वीं पोस्ट है।
भारत में मद्रा के स्वरूप में हमेशा ही बदलाव होता रहा है। पहले जो मुद्रा प्रचलन में थी वो इस समय के प्रचलित मुद्रा से बिल्कुल अलग थी। ऐसी ही एक मुद्रा मुझे देखने को मिली तो मेरे लिये किसी अजूबे से कम नहीं थी।
यह दस रुपय का नोट है जो 22 अक्टूबर 1919 के समय में प्रचलन में था और 2019 में अपने सौ वर्ष पूरे करेगा। उस समय के 10 रुपये इस समय के 10 रुपये से बिल्कुल ही अलग थे।
यह 21.2 सेमी. लम्बा और 13 सेमी. चौड़ा है।
इसमें एक ही तरफ छपाई है।
इसमें कलर प्रििन्टंग है ।
इसमें 9 भाषाओं का इस्तेमाल हुआ है।
इसमें वॉटर मार्क से अंग्रेज़ी में टैन लिखा हुआ है।
इसमें इस्तेमाल कागज़ आज लगभग 100 साल में भी सही सलामत है।
यह मुद्रा मुझे नैनीताल निवासी श्री राजेन्द्र लाल साह जी द्वारा मिली। राजेन्द्र जी नैनीताल के रंगकर्मी एवं कुमाउंनी होली गायक हैं। उन्हें यह उनके दादा जी स्व. श्री दास साह जी द्वारा प्राप्त इुई जिसे उन्होंने आज तक भी सम्भाल कर रखा है।