पक्षी अपने लिये अलग-अलग तरह के कलात्मक घोंसले बनाते हैं। जैसे वीवर बर्ड बहुत ही सुन्दरता के साथ घास को बुन कर घोंसला बनाती है तो वॉटर रैड स्टार्ट काई और मॉस से कीप के आकार का घोंसला तैयार करती है। मैगपाई लकड़ी के टुकड़ों से अपना घोंसला पेड़ों के ऊपर बनाती है तो ग्रे हुडेड बुश वैब्लर घास को मोड़ कर बहुत ही आकर्षक घोंसला बनाती हैं और बार्न स्वैलो अपने बीट और गीली मिट्टी को मिला कर बहुत कलात्मक घोंसला तैयार करती है।
अभी तक संसार में 8,600 पक्षियों की जातियों का पता चला है। यदि इन जातियों को उपजातियों में विभाजित किया जाय तो संख्या लगभग 30 हजार तक पहुँच जायेगी। जिसमें अकेले हिन्दुस्तान में ही लगभग 1500 जातियां मिलती हैं। हिन्दुस्तान में प्रत्येक स्थान पर अगल-अलग तरह का मौसम और भौगोलिक परिस्थितियाँ होने के कारण इतने पक्षी मिल जाते हैं। अगर बात की जाये हिमालय की तो इसे पक्षियों की जन्नत कहना ही ठीक होगा क्योंकि भारत में सबसे ज्यादा पक्षी हिमालय में मिलते हैं। इसीलिये किसी भी बर्ड वॉचर का सपना होता है हिमालयन इलाकों में आकर पक्षियों को देखना।
(मेरा यह आलेख पहले एक पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है। यहां पर मैं इस आलेख के कुछ अंश ही लगा रही हूं।)
नैनीताल के आस-पास में ही काफी परिंदे दिख जाते हैं। उनमें से ही कुछ परिंदों की तस्वीरें यहां दे रही हूं। मोनाल सिर्फ उच्च हिमालयी स्थानों में ही पाया जाता है पर यह उत्तराखंड का राज्य पक्षी है और बेहद खुबसूरत परिंदा है इसलिये इसकी तस्वीर यहां दे रही हूं।
मोनाल
यह उत्तराखंड का राज्य पक्षी भी है
व्हाइट कैप्ड वॉटर रैड स्टार्ट
यह पानी के नजदीक ही मिलती है
ग्रेट बारबेट
यह जंगलों में पायी जाती है।
व्हाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर
यह भी पानी के नजदीक के स्थानों में पाया जाता है
लिटल हीरॉन
यह भी पानी के नजदीक मिलता है
जंगल फाउल
यह जंगलों में मिलती है
ब्लू व्हसलिंग थ्रश
इसकी आवाज सीटी की जैसी होती है इसलिये इसे िव्हसलिंग थ्रस कहा जाता
ब्लैक हैडेड जे
यह घने जंगलों में मिलती है
एशियन बार्ड ऑउल
यह भी जंगलों में आसानी से देखा जा सकता है
लांग टेल्ड मिनिविट
यह छोटे आकार की बेहद कलरफुल चिड़िया है
र्पपल सनबर्ड
यह चमकदार रंगों वाली चिड़िया होती है जो फूलों से पराग को चूसती है। इसकी भी अन्य प्राजतियां होती हैं
रैड बिल्ड मैगपाई
इसकी लाल बीक के कारण इसे रैड बिल्ड मैगपाई बोला जाता है। इसकी एक प्रजाति और होती है जिसमें बीक का रंग पीला होता है।
ब्लैक बुलबुल
काले रंग के कारण इसे ब्लैक बुलबुल कहा जाता है।
हिमालयन बुलबुल
यह पहाड़ी स्थानों में पायी जाने वाली बुलबुल है।