मशहूर चित्रकार निकोलाई रोरिख का जन्म 9 अक्टूबर 1874 को रूस के एक उच्च मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। रोरिख बचपन से ही चित्रकार बनना चाहते थे पर उनके पिता जो कि वकील एवं नोटरी थे, उनको ये पसंद नहीं था इसलिये रोरिख ने वकालत और चित्रकारी की शिक्षा साथ-साथ ली।
अपने जीवन काल में रोरिख ने लगभग 7000 पेंटिंग्स बनाई। जिनमें विभिन्न तरह की पेंटिंग्स शामिल हैं। पर रोरिख की पहचान ज्यादा उनकी लैंडस्केप पेंटिंग्स के कारण ही है। पेंटिंग के अलावा रोरिख ने कई विषयों में किताबें भी लिखी जिनमें प्रमुख है फिलोसफी, धर्म, इतिहास, आर्कियोलॉजी साथ ही रोरिख ने कुछ कवितायें और कहानियां आदि भी लिखे। पूरे विश्व में शांति के प्रचार प्रसार के लिये रोरिख ने कई म्यूजियम एवं शैक्षणिक संस्थान आदि की भी स्थापना की।
रूस में 1917 की क्रांति के बाद से रोरिख ने ज्यादा समय रुस के बाहर ही बिताया। इस दौरान उन्होंने विभिन्न देशों अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन आदि की यात्रा की। न्यूयॉर्क में इन्होंने रोरिख म्यूजियम की स्थापना भी की। इनके अलावा रोरिख ने ऐशियन देशों की यात्रायें भी की और हिन्दुस्तान से तो उन्हें विशेष लगाव रहा। यहां के हिमालयी स्थानों में उन्होंने अच्छा समय बिताया और यहां की संस्कृति आदि से वे बेहद प्रभावित रहे। 13 दिसम्बर 1947 को कुल्लू में रोरिख का देहांत हुआ।
अपने जीवनकाल में रोरिख को कई पुरस्कारों द्वारा नवाजा गया जिनमें प्रमुख हैं रसियन ऑर्डर ऑफ सेंट स्टेिन्सलॉ, सेंट ऐने एंड सेंट व्लादिमीर, यूगोस्लावियन ऑर्डर ऑफ सेंट साबास, नेशनल ऑर्डर ऑफ लिजीयन ऑफ ऑनर तथा किंस स्वीडन ऑर्डर ऑफ नॉर्दन स्टार। इसके अलावा उन्हें 1929 में नोबोल पुरस्कार के लिये भी नामांकित किया गया।
11 comments:
In Naggar( near Manali) u can see his paintings and many more things related to Himachal , his life and philosophy as well Vinita .
रोरिख की गैलरी BHU के 'कला भवन में भी देखी थी. काफी प्रभावित हूँ इनसे. संजोग से आज की मेरी पोस्ट भी आर्ट पर ही है. (!)
हमें रोरिख जी के बारे में पता तो था लेकिन उनकी पेंटिंग नहीं देखी थी. आपका आभार.
wow......they are beautiful....
रोरिख की सुंदर कलाकृतियों से मिलवाने के लिए आपका धन्यवाद. बहुत सुखद लगा.
बहुत सुंदर, दुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.
रामराम.
रोरिख साहब एक मशहूर चित्रकार तो थे ही उससे बड़ी उनकी उपलब्धि थी की वो भारतीय सिनेमा की पहली दादा साहब फाल्के विजेता मशहूर नायिका देविका रानी के दुसरे पति भी थे.मनाली में इनके घर में रखी इनकी पेंटिंग्स,किताबें और चित्रों से इनके जीवन की अच्छी झांकी देखने को मिलती है.हाल में ही मैं मनाली गया था तो रोरिख साहब के घर और दूसरी जगहों के काफी सारे चित्र खींच कर लाया था,अगर विनीता जी चाहे तो वो उनको पोस्ट कर सकती हैं.
रेरिख अपने हिमालय प्रवास के दौरान केलंग मे भी आते रहे हैं. यहाँ उन्हों ने स्थानीय बौद्ध चित्रकारों के साथ वेजिटेबल और मिनेरल कलर्ज़ पर कुछ नए प्रयोग किए.
वस्तुतः हिमालय के संसर्ग में उन की कला को एक नई उद्दात्तता मिली है. यह उन के चित्रों का क्रोनोलॉजिकल अध्ययन से सहज ही पता चलता है.
Maine to pehli baar inke bare mein jana. Batane ka shukriya
munish, Ajay and Comic World thnx to give me all these informations about him...
रोरिक के बारे में इतनी सुंदर जानकारी के लिय शुक्रिया ,,रोरिक हिमालय में रहते हुए लाहौल में भी आये ओर केलंग में रुके ,,,लाहौल कि उनकी कुछ पेंटिंग्स आप उसके हिमाचल में नग्गर स्थित संग्राहलय में देख सकते हैं ,,,नग्गर स्थित संग्राहलय अपने आप में रोरिक को जीवंत करती है
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