Tuesday, August 3, 2010

अपने मंदिरों के लिये विश्व प्रसिद्ध है जागेश्वर धाम

अल्मोड़ा से 34 किमी. दूर स्थित जागेश्वर धाम है जो अपने मंदिरों के लिये विश्व प्रसिद्ध है। जागेश्वर में जो मंदिर हैं ये 8वीं से 12 वीं शताब्दी के बीच बने हुए हैं। जागेश्वर के मंदिर अपने वास्तुकला के लिये बेहद प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों का निर्माण चन्द और कत्यूर वंश के राजाओं के द्वारा किया गया है। जागेश्वर धाम 124 मंदिरों का समूह है जिसमें हर आकार के मंदिर हैं। कुछ बहुत बड़े तो कुछ बहुत छोटे।

जागेश्वर में बेहद कई देवी-देवताओं की बेहद आकर्षक मूर्तियां हैं। शिव-पार्वती और विष्णु भगवान की मूर्तियां विशेष रूप से आकर्षक हैं। महामृत्युंजय और जागेश्वर भगवान के मंदिर सबसे प्राचीन मंदिर माने जाते हैं। जागेश्वर धाम से से पहले दंडेश्वर मंदिर पड़ता है। यहां पर काफी विशाल मंदिर हैं। इन मंदिरों की उंचाई लगभग 100 फुट तक है। इन मंदिरों के उपरी भाग में छत जैसी बनी हुई हैं जिनमें कलश रखे गये हैं।


महामृत्युंजय मंदिर में धातु का तांत्रिक यंत्र भी है। जागेश्वर धाम को भारत के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक माना जाता है। इन मंदिरों में पुष्टिदेवी, नवग्रह, सूर्य भगवान आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं। मंदिरों की बाहरी दिवारों में कुछ शिलालेख भी लिखे हैं पर इन्हें अभी तक भी पढ़ा नहीं जा सका है।

सावन के माह में यहां पर शिवजी की विशेष पूजा पार्थी पूजा कराने के लिये दूर-दूर से लोग आते हैं। पूरा माह शिव की पूजा की जाती है। इस दौरान एक छोटा सा बाजार भी मंदिर के बाहर लगाया जाता है।


जागेश्वर मंदिरों से लगा हुआ एक शमशान घाट भी है। यहां के लोगों का मानना है कि इसमें दाह संस्कार करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इन्हीं मंदिरों से थोड़ी दूरी पर एक पुरात्व विभाग द्वारा संग्रहालय बनाया गया है जिसमें कई प्राचीन मूर्तियों का संरक्षण किया गया है।

10 comments:

माधव( Madhav) said...

good informative post. i will go there

सुनीता said...

बहुत सुंदर जानकारी विनीता जी ,,
मैं यहाँ कहना चाहूंगी बिलकुल ऐसा ही एक स्थान हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भी है ...भरमोअर ..यहाँ कुल 84 मंदिर है ..सावन के महीने मैं जब शरदालु मणिमहेश की यात्रा पर जाते हैं तो यहाँ दर्शन केर के ही अपनी यात्रा शुरू करते हैं ...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...


विनीता जी, आपकी हर पोस्ट जानकारी का खजाना होती है।

…………..
अद्भुत रहस्य: स्टोनहेंज।
चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख..।

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

very good post...nicely written and well informative

happy blogging..

"अर्श" said...

itani jaankariyan aap laati kahan se hain... aabhar aapka


arsh

ताऊ रामपुरिया said...

जागेश्वर के मंदिरों के बारे में बहुत ही उत्कृष्ट जानकारी मिली. बहुत शुभकामनाएं.


रामराम

Manish Kumar said...

शुक्रिया इस जानकारी के लिए वैसे देख रहा हूँ आजकल आपकी पोस्ट लंबाई में छोटी होती जा रही हैं।

Vineeta Yashsavi said...

Manish ji : ajkal kafi samay se likhne ka zyada mood nahi ho raha hai aur thora dusre kaamo mai bhi vyastata ho gayi hai isi karna...

i hope ki jaldi hi apni normal life mai wapas lautungi...

नीरज मुसाफ़िर said...

विनीता जी, एक बार बैजनाथ के बारे में बताइये।
और हां, गैरसैण भी तो शायद अल्मोडा जिले में ही है। हो सके तो उसके बारे में भी बताना।
इस बार रक्षाबन्धन पर देवीधूरा जाने का इरादा है।

Prayag Sangode said...

Nice Article!You write good!