Thursday, April 1, 2010

ऐसा है रुद्रपुर का इतिहास

 
अतरिया देवी का मंदिर

रुद्रपुर का निर्माण चन्द वंश के राजा रुद्र चन्द ने (1565-1597) में किया। कुमाउं में 16वीं सदी में इनका ही शासन था। एक दंत कथा के अनुसार एक बार जब राजा रुद्र चन्द यहाँ से जा रहे थे तो उनके रथ का पहिया दलदली जमीन में फंस गया। उसके बाद उन्होंने इस जगह पर एक मंदिर और एक कुंए का निर्माण करवाया। यह मंदिर आज भी अतरिया देवी मंदिर के नाम से इस स्थान पर है। जो कि बस स्टैंड से 2 किमी. दूर है। हर वर्ष नवरात्र में यहां 10 दिन का मेला लगता है।

आज के रुद्रपुर को 1960 में बसाया गया था। इसे बसाने का मुख्य कारण था बटवारे के दौरान पाकिस्तान, बर्मा, बांग्लादेश, पश्चिमी पंजाब से आये शरणार्थियों को रहने के लिये जगह देना। उस समय के मुख्यमंत्री भारत रत्न गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा यहां शरणार्थियों को बसाया गया तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। शासन ने जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े इन शरणार्थियों को दे दिये ताकि वो इसमें अपना घर बना सके और खेती कर सकें।

इस तरह से बसा यह छोटा सा शहर अब काफी फैल चुका है और उत्तराखंड के कृषि में सबसे अहम योगदान दे रहा है। रुद्रपुर अपने यहां पैदा होने वाले चावलों के लिये भी जाना जाता है। आज भी रुद्रपुर की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि कार्यों से जुड़ी हुई है।

5 comments:

abcd said...

इस्की बसाहट का interesting इतिहास जानकर....Israel की बसाहट का इतिहास याद आ गया....

ताऊ रामपुरिया said...

रुद्रपुर के बारे काफ़ी रोचक जानकारी प्राप्त हुई.

रामराम.

संगीता पुरी said...

रूद्रपुर के बारे में जानकारी देने का शुक्रिया !!

मुनीश ( munish ) said...

short but sweet.

डॉ. मनोज मिश्र said...

रोचक जानकारी..