Wednesday, May 6, 2009

ऐसे भी लोग होते हैं - 2

अवस्थी मास्साब

अवस्थी मास्साब को यूं तो शायद ही कोई जानता हो क्योंकि उन्हें कभी किसी बड़े पुरस्कार से नहीं नवाजा गया और न ही अवस्थी मास्साब ने इसकी कभी कोई हसरत ही रखी। इसीलिये वो अपना काम चुपचाप करते रहे और लोगों को सही रास्ता दिखाते रहे।

2 अगस्त 1925 को नेपाल के एक छोटे से गावं सिलगढ़ी के गरीब परिवार में जन्मे शरत चन्द्र अवस्थी ने एम.ए. अंग्रेजी से किया था और नैनीताल के सी.आर.एस.टी. स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक थे। नैनीताल में हर कोई उन्हें अवस्थी मास्साब के नाम से ही जानता था। अवस्थी मास्साब वैसे तो अंग्रेजी के शिक्षक थे पर अंग्रेजी के अलावा भी हर विषय में उनका बहुत अच्छा एकाधिकार था। उनके छात्र रह चुके बलवीर सिंह जी का कहना है कि - हमारे क्लास में जब भी किसी और विषय के शिक्षक नहीं आते थे तो अवस्थी मास्साब उनकी जगह हमें पढ़ाने आते थे और इस अंदाज में वो पढ़ाते थे कि लगता ही नहीं था कि वो अंग्रेजी के ही शिक्षक हैं। अवस्थी मास्साब का हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू के अलावा अन्य भाषाओं की भी बहुत अच्छी जानकारी थी।

अवस्थी मास्साब को जो बात सबसे अलग करती है वो थी उनका स्वयं को अभिव्यक्त करने का माध्यम। जिसमें न तो उन्हें पैसों की जरूरत पड़ती थी, न ही बड़े-बड़े अखबार के संपादकों की खुशामद करने की और न ही ज्यादा समय की। उनका यह माध्यम था पोस्टर। वो उस समय की परिस्थितियों के अनुसार स्वयं ही पोस्टर बनाते थे और उसे अपने उपर लटका के सड़क में निकल जाते। जिसे भी पोस्टर पड़ना होता वो उनके सामने चले जाता। अवस्थी मास्साब वहां पर तब तक खड़े रहते थे जब तक की सामने वाला पूरा पोस्टर न पढ़ ले। कभी-कभी वो आगे-पीछे दोनों तरफ पोस्टर लटका के चलते थे। जब कोई सामने की तरफ वाला पोस्टर पढ़ लेता तो उसे घूम कर पीछे का पोस्टर भी पढ़ने देते। अवस्थी मास्साब के पोस्टरों की एक और खासियत यह थी कि उन्होंने कोई भी पोस्टर नये कागज में नहीं बनाया। इसके लिये उन्होंने हमेशा इस्तेमाल किये जा चुके कागज को ही फिर से इस्तेमाल किया। वो अपने दिल की हर बात, अपनी नाराजगी, गुस्सा और प्यार सब कुछ अपने पोस्टर के द्वारा आम जनता तक पहुंचा देते थे। जिसका जनता के उपर गहरा प्रभाव भी पड़ता था।
अवस्थी मास्साब नैनीताल की सबसे बड़ी नाट्य संस्था `युगमंच´ के संस्थापक सदस्य भी थे। ज़हूर आलम जी, अध्यक्ष, युगमंच की मल्लीताल स्थित छोटी सी कपड़े की दुकान `इंतखाब´ उनके बैठने का निश्चित स्थान था जहां से वो अपनी सभी रचनात्मक कार्यों को दिशा दिया करते थे। ज़हूर आलम जी का कहना है कि - अवस्थी मास्साब तो ज्ञान का भंडार थे। हर विषय में उनका ज्ञान इतना गहरा था कि कभी-कभी लोग उसे समझ भी नहीं पाते थे। असल में अवस्थी मास्साब अपने समय से बहुत आगे के थे इसलिये शायद लोग उन्हें उस तरीके से समझ नहीं पाये जिस तरह से उन्हें समझा जाना चाहिये था।
अवस्थी मास्साब आंदोलनकारी भी थे और उन्होंने `नशा नही रोजगार दो´, प्राधीकरण हटाओ नैनीताल बनाओ, मण्डल कमण्डल के विरुद्ध छात्र आंदोलन, 1994 का मुजफ्फरनगर कांड तथा उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका अदा की।

इन सबके अलावा अवस्थी मास्साब खेलों के भी बेहद शौकिन थे और हर तरह के खेलों जैसे - क्रिकेट हॉकी, फुटबाल, बॉिक्संग आदि की प्रत्येक बारिकियों से भी भली भंति परिचित थे। अरूण रौतेला जी का कहना है कि - अवस्थी मास्साब विद्वान, ईमानदार तो थे ही लेकिन उन्होंने अपने को अभिव्यक्त करने का जो माध्यम चुना वो उन्हें सबसे अलग बनाता है। उनके बगैर नैनीताल आज भी अधूरा ही लगता है। उनसे हमें काफी कुछ सीखने को मिला। ऐसे विद्वान दुनिया में कम ही होते हैं जिनमें से एक हमारे अवस्थी मास्साब भी थे। 12 फरवरी 2002 को नैनीताल में उनका देहान्त ब्रेन हैमरेज से हुआ। कुछ समय से वह अस्पातल में भर्ती थे और जब उन्हें उनके बिस्तर से हटाया गया तो उनके द्वारा बनाया गया आखरी पोस्टर मिला, जिसमें लिखा था - हैप्पी बर्फ डे। क्योंकि एक दिन पहले ही नैनीताल में बर्फ पड़ी थी जिसकी खुशी भी उन्होंने अपने ही माध्यम से सबके सामने रखी और सबको अलविदा कह गये।

अवस्थी मास्साब के कुछ और पोस्टर अगली पोस्ट में...

अवस्थी मास्साब की तस्वीर और पोस्टर श्री ज़हूर आलम, अध्यक्ष `युगमंच´ से साभार




26 comments:

शिरीष कुमार मौर्य said...

अवस्थी मास्साब पर बहुत अच्छी और मार्मिक पोस्ट. वे आज भी जैसे सामने खड़े हैं, एक भूल सुधार लो - ज़हूर आलम युगमंच के वर्तमान अध्यक्ष भी हैं - उन्हें बार बार भूतपूर्व न लिखो ! पोस्ट के एक बार फिर आभार !

शिरीष कुमार मौर्य said...
This comment has been removed by the author.
Abhishek Ojha said...

मॉस साहब के व्यक्तित्व के बारे में जानना अच्छा रहा !

admin said...

अवस्‍थी मास्‍साब जैसे लोग इस समाज की धरोहर हैं।

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SBAI TSALIIM

Vineeta Yashsavi said...

Shirish Ji maine apni galti sudhar li hai...

meri galti pakrne ki liye dhanywaad...

Ashish Khandelwal said...

अवस्थी मास्साब जैसी शख्सियत कम ही देखने को मिलती है.. इस जानकारी को साझा करने का आभार..

अभिषेक मिश्र said...

Bahut anuthe aur prerak vyakti ki jaan kari di aapne. inhe meri bhi shraddhanjali.

"अर्श" said...

maasaab ko saadar pranaam...aur aapka aabhaar...milwaane ke liye..


arsh

Vinay said...

मुझे इतना सब नहीं पता था, इन साहब के बारे में जानकर अच्छा लगा

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चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलें

ताऊ रामपुरिया said...

बहु्त ही लाजवाब शख्स से रुबरु करवाया आज अपने. मास्साब के बारे मे बताने के लिये बहुत आभार आपका. मास्साब वाकई एक लाजवाब इंसान थे. उअन्के बारे मे जानकर सर श्रद्धा से झुक गया. उनको हार्दिक नमन.

डॉ .अनुराग said...

कभी कभी लगता है कुछ लोग इश्वर के दूत होते है ...क्या हम उन्हें पहचान नहीं पाते ?

डॉ. मनोज मिश्र said...

ऐसे ही लोग आज भी हमारे पूज्य हैं

Hari Joshi said...

हिंदी में इतनी अच्‍छी पोस्‍ट बहुत कम पढ़ी हैं मैने। डा0 अनुराग सही कह रहे हैं। अब तो ये प्रजाति ही विलुप्‍त होती जा रही है।

Unknown said...

awasthi ji mere padose main rahate the.mere teacher bhi rahe the.awasyhi ji ke bare main likhe kar aap ne bahut accha kaam kiya hi
dhanywad

स्वप्नदर्शी said...

Thanks Vinita for remembering this wonderful person.
I can recollect many conversations with Awasthi Maasaab during my stay in Nainital.

P.N. Subramanian said...

इस पोस्ट के लिए साधुवाद

ghughutibasuti said...

विनीता जी, एक अद्भुत व्यक्तित्व से मिलवाया है आपने। बहुत बहुत धन्यवाद।
घुघूती बासूती

शिरीष कुमार मौर्य said...

हाँ विनीता अब ज़हूर दा को अपना पद वापस मिल गया. किया न मैंने सचिव वाला काम?

Unknown said...

Awasthi masaab ke baare mai likh ki apne vaki bahut achha kaam kiya hai...

इरशाद अली said...

Bahut Khub

रंजू भाटिया said...

अदभुत व्यक्तित्व बहुत अच्छा लगा जान कर शुक्रिया इनसे से परिचित करवाने के लिए

संगीता पुरी said...

इनसे परिचय करवाने का शुक्रिया..

Manish Kumar said...

Ek achchi shakshiyat se milane ke liye aabhar. Unke lagaye poster waqai mein lajwaab hain.

Harshvardhan said...

avasthi masahab ke bare me itni gahari jaakari ke liye aapka shukria..........

प्रकाश गोविंद said...

अत्यंत सार्थक ब्लॉग !

कुछ ब्लॉग ऐसे होते हैं जहाँ हमारा
मनोरंजन होता है !
कुछ ब्लॉग ज्ञानवर्धक होते हैं,
जहाँ हमें नयी जानकारी मिलती है !
कुछ ब्लॉग भावुकता से भरे होते हैं,
जहाँ जाकर हम द्रवित हो जाते हैं !

इन सबके बीच कुछ ब्लॉग कभी-कभी ऐसे भी सामने आ जाते हैं जहाँ हम बार-बार जाकर कुछ कहना चाहते हैं, पर कह नहीं पाते ! शब्द अपना असर खो देते हैं ! कुछ भी कहना बेमानी सा लगता है ! बस इतना ही कहना चाहूँगा -

अवस्थी मास्साब की स्मृति को नमन करता हूँ !

विनीता जी आप ब्लोगिंग की दुनिया जिस द्रढ़ता और मिशन से आगे बढ़ रही हैं ....उसकी मैं मुक्त कंठ से सराहना करता हूँ !

मेरी नजर में वर्ष 2009 का यह
सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग है !

हमारी हार्दिक शुभकामनाएं !

प्रकाश गोविंद said...

भूल सुधार :

मेरी नजर में वर्ष 2009 की यह
सर्वश्रेष्ठ पोस्ट है !