Thursday, April 30, 2009

न्याय के देवता है गोलू

कुमाऊँ में कई लोक देवता हैं जिनमें से एक हैं गोलू देवता। जिन्हें गोलू, श्री ग्वेल ज्यू, बाला गोरिया और गौर भैरव आदि नामों से भी जाना जाता है। गोलू देवता कुमाऊँ में रहने वाले बहुत से लोगों के ईष्ट देव भी हैं। गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है और लोगों की आस्था है कि गोलू जी के दरबार से कोई भी खाली नहीं लौटता है। गोलू जी सब को न्याय देते हैं और अन्यायी को सजा देते हैं। कुमाऊँ में गोलू जी प्रसिद्ध मंदिर हैं, नैनीताल का घोड़ाखाल मंदिर, चंपावत का मंदिर और अल्मोड़ा का चितई मंदिर। इन मंदिरों में साल के हर माह श्रृद्धालुओं की भीड़ लगी ही रहती है।

गोलू देवता के बारे में किवदंती प्रचलित है कि - गोलू चम्पावत के कत्यूरी वंश के राजा झालुराई के पुत्र थे। झालूराई की सात रानियां थी पर कोई भी संतान नहीं थी। राजा झालुराई ने भैरव भगवान की पूजा कर के उन्हें प्रसन्न किया। भगवान भैरव ने राजा से कहा कि मैं स्वयं तुम्हारे घर में पुत्र बनकर आउंगा पर उसके लिये आपको एक और विवाह करना पड़ेगा।

इसके बाद राजा ने आठवीं रानी प्राप्त करने के प्रयास शुरू कर दिये। एक बार राजा झालुराई शिकार करने वन में पहुंचे तो उन्हें जोरों की प्यास सताने लगी। राजा ने अपने सैनिकों को पानी लाने भेज दिया पर काफी समय तक जब सैनिक वापस नहीं आये तो राजा स्वयं पानी की तलाश में निकल गये। राजा को सामने एक तालाब नजर आया जिसके चारों ओर राजा के सैनिकों के शव पड़े हुए थे। जैसे ही राजा ने पानी में हाथ लगाने की कोशिश की, एक स्त्री ने उनसे कहा - यह मेरा तालाब है और मेरी आज्ञा के बगैर यहां से कोई पानी नहीं ले सकता है। राजा झालुराई ने स्त्री को अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं चम्पावत का राजा झालुराई हूं। पर स्त्री ने उनकी बात वे विश्वास नहीं किया और बोली - यदि आप चम्पावत नरेश हैं तो पहले आपस में लड़ते हुए इन दो भैंसों को अलग करके दिखाइये। राजा को कुछ समझ नहीं आया और उन्होंने अपनी हार मान ली। तब उस स्त्री ने उन भैंसों को अलग कर दिया। राजा को पता चला की वह स्त्री कलिंगा है और राजा ने उससे विवाह कर लिया।

विवाह के कुछ समय पश्चात कलिंगा गर्भवती हो गयी जिस कारण राजा की सातों रानियां कलिंगा से जलने लगी और उन्होंने निश्चय किया कि कलिंगा को मां नहीं बनने देंगी। कलिंगा को जब पुत्र होने वाला था उस समय सातों रानियों ने कलिंगा की आंखों में पट्टी बांध दी और उसके पुत्र को उठाकर गायों के गोठ में फेंक दिया और कलिंगा से कहा कि - तुमने पत्थर को जन्म दिया है। यह सुनकर कलिंगा बेहद आश्चर्यचकित हुई और उदास भी।

इधर पुत्र गायों के गोठ में गायों का दूध पीकर जीवित रह गया तो सातों रानियों ने उसे एक संदूक में बंद कर पानी में फेंक दिया। वह संदूक बहता हुआ गोरीघाट नामक स्थान में पहुंचा जहां उसे एक मछुवारे ने पकड़ लिया। जब उसने उसे खोला तो बच्चे को देखकर वह बेहद खुश हुआ क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी। मछुवारे और उसकी पत्नी ने बालक को पाल लिया।


जब बालक बड़ा होने लगा था तो उसे अपने जन्म कि सभी बातें स्वप्न में दिखाई देने लगी इसलिये इन बातों की सत्यता का पता करने के लिये बच्चे ने अपने पिता से एक घोड़ा मांगा। पर मछुवारा गरीब था इसलिये उसने एक लकड़ी का घोड़ा लाकर बच्चे को दे दिया। बालक ने इस घोड़े में ही प्राण डाल दिये और उससे यात्रा करने लगा। एक दिन जब बालक घूमते-घूमते झालुराई के राज्य पहुंच गया। वहां उसने एक तालाब देखा जिसके किनारे बैठ कर रानियां कलिंगा के साथ किये दुZव्यवहार की बातें कर रही थी जिसे बालक ने सुन लिया। तभी उसने रानियों से कहा कि - जरा जगह छोड़ो मेरे घोड़े को पानी पीना है। रानियों ने हंस कर कहा - लकड़ी का घोड़ा भी कहीं पानी पीता है। इस पर बालक ने कहा - यदि औरत पत्थर को जन्म दे सकती है तो लकड़ी का घोड़ा भी पानी पी सकता है। बालक की इस धृष्टता पर उसे पकड़ लिया गया और राजा के सामने लाया गया। बालक ने राजा को सभी बातें बता दी। इसके बाद रानियों ने भी अपनी गलतियों को मानते हुए राजा से क्षमा याचना की। बालक के कहने पर राजा ने सभी रानियों को क्षमा कर दिया। यही बालक बाद में गोलू देवता बने जिन्हें राजा ने अपना राज्य सौंप दिया। ग्वेल नाम इन्हें इसलिये दिया गया क्योंकि इन्होंने हमेशा अपनी प्रजा की रक्षा की। गौरीघाट में मिलने के कारण इन्हें गोरिया तथा बहुत गोरा रंग होने और भैरव भगवान की जैसी शक्तियां प्राप्त होने के कारण इन्हें गोर भैरव भी कहा जाता है।


ऐसा कहा जाता है कि गोलू अपने राज्य में घूम घूम कर अदालतें लगाते थे और दोषियों को सजा देते थे इसलिये इन्हें न्याय का देवता कहा जाता है। आज भी लोग गोलू के मंदिरों में न्याय के लिये जाते हैं और लिख कर अपनी फर्याद गोलू तक पहुंचाते हैं। जिनकी इच्छा पूरी होती है वो घंटी चढ़ाकर भगवान का धन्यवाद करते हैं। इसीलिये गोलू के मंदिरों में घंटियों की बहुतायत रहती है।





24 comments:

Unknown said...

Vinita ji maine Golu dewta ka naam to pahle suna tha per itni jankari nahi thi.is jankari ko bantne ki liye shukriya.

ताऊ रामपुरिया said...

गोलू देवता के विषय मे इतनी जानकारी आज पहली बार मिली. आपके द्वारा हमारी संस्कृतिक विरासत के बारे में दी जारही जानकारी नये लोगों को भी इस बारे मे अपडेट ्रखती है. बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं.

रामराम.

डॉ. मनोज मिश्र said...

अच्छी कहानी ,अच्छी जानकारी और आकर्षक चित्र .बधाई इस प्रस्तुति हेतु .

Unknown said...

Kumaun ke baare aap humesha bahut achhi jankari deti hai

mai bhi ek baat batna chahta hu - ab jaha Ghorakhal School hai usme pahle Rampur ke nawab rahte the. rrat ki samay wo aksar waha se rampur ki train durbeen dwara dekha karte the. lakin ab pradushan ke chlte yaha sambhaw nahi hai.

रंजू भाटिया said...

गोलू देवता का नाम बहुत साल पहले अपनी एक कुमाऊं की रहने वाली सहेली से सुना था ..पर इतनी अधिक जानकारी उसने नहीं बतायी थी वह आज आपकी पोस्ट से जाना ..शुक्रिया चित्र और इस को पढ़वाने का

Ashish Khandelwal said...

गोलू देवता के बारे में इतने सरल और प्रवाहपूर्ण ढंग से आपने जानकारी परोसी कि इसे बस पढ़ते ही चले गए। भारतीय धरोहरों को इस तरह प्रकाश में लाना प्रशंसनीय है.. आभार

Abhishek Ojha said...

एक मित्र से सुना था गोलू देवता के बारे में. आज तो पूरी जानकारी मिल गयी !

नीरज मुसाफ़िर said...

मुझे तो केवल चितई के मंदिर के बारे में मालूम था, आज पता चला है की गोलू देवता का मंदिर नैनीताल में भी है. अच्छी जानकारी

Manish Kumar said...

शुक्रिया सविस्तार इस लोककथा को यहां प्रस्तुत करने के लिए !

मुनीश ( munish ) said...

i agree with jaat!

Udan Tashtari said...

बहुत आभार इस जानकारीपूर्ण आलेख का.

Vineeta Yashsavi said...

Adrniya Arun Ji - yaha jankari upalabdha karne ki liye dhanyawaad...

admin said...

गोलू देवता के बारे में मैंने पहले भी सुना है। पर इतनी डिटेल पहली बार पता चली। आभार।
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सावधान हो जाइये
कार्ल फ्रेडरिक गॉस

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

गोलू देवता के बारे में मालूम तो था, किन्तु इतनी विस्तार से जानकारी नहीं थी....सचित्र जानकारी हेतु आभार

BrijmohanShrivastava said...

पुरानी किम्वदंतियों में यह जरूर होता था कि किसी राजा (प्रजा का तो जिक्र ही क्यों होगा कहानियों में )के इतनी रानियाँ थी और संतान नहीं थी /दूसरा पेराग्राफ -यदि किम्वदंती या कहानी मैंने लिखी होती तो मैं राजा से ही भैंसों को अलग करवाता ताकि कलिंगा को विश्वास हो जाये कि यही वास्तव में राजा झालुराई हैतीसरा पेराग्राफ =ऐसी कोई कथा इधर बुंदेलखंड में भी प्रचलित है कि पुत्र हुआ और माँ की बेहोशी की हालत में सौतों (माफ़ कीजियेगा इधर यही शब्द प्रचलित है ) ने कहा पत्थर पैदा हुआ और मज़ेदार बात यह कि राजा और रानी भी यह बात मान लिया करते थे /नेक्स्ट पेरा-मछुआरे द्वारा पलने का जिक्र महाभारत के किसी प्रसंग में भी आया है /नेक्स्ट -ग्वेल नाम ,गोरिया नाम ,गौर भेरव नाम का स्पष्टी करण भी लोक कथा में ठीक दिया गया है /
असल में हम इन लोक कथाओं से तथा कोई स्थान या लोक देवता क्यों प्रसिद्द है इन बातों से बंचित हो गए हैं और वर्तमान पीढी इन पर विश्वास भी नहीं करती हैलेकिन आपके द्वारा इनकी खोज करना और इन कथाओं को पुन:जीवित करने या जीवित रखने का प्रयास सराहनीय है /ऐसे लोक कथाओं का संग्रह होना चाहिए ,जैसे लोक गीत पुरानी पीढी के साथ चले गए वैसे ही ये लोक कथाये भी चली जायेंगी यदि आप जैसे विद्वानों का इस ओर ध्यान नहीं गया तो /

मुनीश ( munish ) said...

विनीता जी ये चकराता कैसी जगह है आपके राज्य में ? अगर आप कभी गयीं हों तो आपके अनुभव जान लेना चाहता हूँ . मुझे वहां जल्द ही जाना है .

डिम्पल मल्होत्रा said...

pahli baar suna golu devta ke baare me...quit interesting...

Anonymous said...

good post
knowlagible too

KANDWAL said...

mein ramnagar se hun bus nainital se thodi hi duri per aap ka blog padha acha laga ........!
you can mail me on kandwal.yogesh@gmail.com

golu said...

mujhe golu devta ke barey aapse jaankar bahut khushi mahsoos hui ki woh nyay ke devta hai par main aapse yah jaanna chahta hoon ki unka janm aur mukti samay aur varsh kya tha aur vaise mera bhi naam golu hai aur main gora bhi bahut hoon aur ek brahmin ka putra hoon.

shreyam tripathi, delhi

aariyan said...

muje golu devta jee k mandir ka address chahiye h m apni application lagana chahta hu..plz

aariyan said...

vinita didi m bahut paresan hu mere ghar wale bhi mere liye bahut paresan h m golu jee bhagvan k mandir m apni aji lagana chahta hu plz aap mujhe unka address bataiye please. mera email id h-- aariyankosta1986@gmail.com
mo. no.-- 09755116439

दर्शन said...

गोलज्यू महाराज के जय !!
हालांकि मैं इस लोक कथा से पहले ही वाकिफ था परन्तु आपकी इसे संजोने की ये सुन्दर कोशिश अविवरणीय है !!

vishal said...

mai nyyaye ke devta golu dewta ko satt satt pranaam karte hue unsae apni galtio ke lie maafi maangta hu.....mjhe maaf kar dijeaga bhagwan...mae golu devta kae darbaar aana chahta hu aur unki aagya chahta hu...aane ki aagya dizea bhagwan...qki mjhe bhi insaaf aur aapka aashirwad chhaahiye...
mere pyaar ko mjhse judaa karne waale bhut hai aur mai apne pyaar harsha sae saadi aur wo bhi mjhse saadi karnaa chahti hai...hey bhagwan mre pyaar ko insaaf chahiye..kisi tarh hamari saadi karwa dijea aurhamare pyaar ko insaaf dilaea....hame aapki sharan mae rahna hai.....prabhu madat kizea....prabhu insaaf chahiye....pranaam...vishal kr. singh..