Tuesday, March 10, 2009

जो नर जीवें खेलें फाग

वैसे तो कुमाऊँ में होलियों की शुरूआत वसंत पंचमी से ही हो जाती है पर अब लोगों के पास न तो इतना समय है और न ही उतना उत्साह है इसलिये रंग पड़ने वाले दिन से ही होली गाना शुरू किया जाता है। मेरे गांव में होली कुछ इस अंदाज में मनायी जाती है। जिस दिन रंग पड़ता है उस दिन सभी लोग पहले देवी के मंदिर में फिर शिव के मंदिर में एक साथ इकट्ठा होकर होलियों की शुरूआत करते हैं। सबसे पहले भगवान को रंग डाला जाता है उसके बाद लोग आपस में एक दूसरे को रंग डालते हैं। इसी दिन पदम की डाल में चीर भी बांधी जाती है जिसे पूरे गांव में घुमाया जाता है। इसके बाद होलियां गाई जाती हैं तथा पारम्परिक नृत्य भी किये जाते हैं। होलियों की शुरूआत गणेश की होली सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन, होली खेलें गिरिजापति नन्दन से होती है और फिर तरह-तरह की होलियां गायी जाती हैं जिनमें कुछ प्रचलित होलियां होती हैं तो कुछ होलियां लोग स्वयं ही अपने परिवेश के आधार पे बना लेते हैं। मंदिर में होलियां गाते हुए लोगों की टोलियां गांवों में घुमने के लिये निकल जाती है और गांव के प्रत्येक घर में जाकर होली गाते हैं और उनके परिवार को आशीष भी देते हैं जिसका अपना एक अलग ही अंदाज होता है जो कुछ इस तरह है -
हो हो होलक रे।
बरस दिवाली बरसे फाग
जो नर जीवें खेलें फाग
हमरा (घर वालों का नाम) जी रौं लाख सो बरीस

इस तरह उनके पूरे परिवार वालों के नाम लिये जाते हैं और उनके परिवार के लिये खूब ढेर सारी आशीष दी जाती है जिसमें हल्का-फुल्का मजाक भी चलता है पर इसे कोई भी लोग बुरा नहीं मानते हैं। परिवार वाले इन होल्यारों को अपनी हैसियत के अनुसार गुड़, चावल रुपये तथा दूसरे सामान देते हैं जिन्हें होल्यार इकट्ठा कर लेते हैं और अंतिम दिन होने वाले भंडारे के लिये इस्तेमाल करते हैं।

गांव में ज्यादातर होलियां शाम के समय में ही होती हैं क्योंकि दिन में सब अपने खेती के कामों में व्यस्त रहते हैं। होलियों के लिये पुरूषों की मंडली अलग होती है और महिलाओं की मंडली अलग होती है और बच्चे भी अपने एक अलग ही मंडली बना लेते हैं। गांव में घुमने का काम ज्यादातर पुरुषों और बच्चों का होता है जबकि महिलायें घरेलू होलियां करती हैं। जिसमें गांव की सारी महिलायें एकत्र होकर रोज किसी न किसी घर जा के घरों में बैठ के हालियां गाती हैं। महिला होली ज्यादातर ऋतु और श्रृंगार रस में डुबी होती हैं जो कुछ इस प्रकार होती हैं - ननदी के बिरन होली खेलो रसिया, जब से पिया परदेश गये हें/सूनी पड़ी है यह बिंदिया और सूनी पड़ी है यह नथनी/ननदी के बिरन.....। या होली खेलो फागुन ऋतु आयी रही/राधे नन्द कुंवर समझाय रही... अब के होली में घर से निकसे कान्हा के चरण दबाय रही ये तो कृष्ण के चरण दबाय रही या फिर जिस होली आई रे आई रे होली आई रे/फागुन मास बसंत ऋतु आई रे/माह बड़ो सुखदाई रे, मन में उमंग भर लाई रे होली/कागा बोले मोर भी नाचे, कोयल कूक सुहाय रही.....। जिस परिवार में होली होती है वो खाने की व्यवस्था भी करते हैं जिसमें प्रमुख होते हैं गुजिया और आलू। इनके अलावा दूसरे तरह के पकवान भी खाने के लिये परोसे जाते हैं। महिला होली पुरुषों की होलियों से अलग होती हैं। इन होलियों में पुरुष नहीं जाते हैं।

होली में स्वांग भी किया जाता है। इसमें लोग किसी और का भेष बना कर एक दूसरे का मजाक करते हैं। कभी कभी स्वांग में गांव के लोग नेताओं या अभिनेताओं का वेश बनाकर भी मजाक करते हैं पर ये स्वांग सिर्फ कुछ देर के हंसी मजाक का हिस्सा होते हैं किसी को भावनात्मक चोट पहुंचाने के लिये स्वांग नहीं किये जाते।

होलिका दहन वाले दिन सब लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं और होलिका दहन करते हैं। उसी दिन चीर को भी जलाया जाता है फिर उसी स्थान पे होलियां गायी जाती हैं। ये दौर पूरी रात चलता रहता है। होलिका दहन के दूसरे दिन होली जिसे छरड़ी कहते हैं मनायी जाती है। इस दिन लोग एक दूसरे के उपर रंग और पानी फेंक के होली खेलते हैं। नई दुल्हनों का तो बुरा हाल रहता है। छरड़ी करने के बाद सभी लोग नहा धोकर मंदिर में जाते हैं। वहां पे भंडारा किया जाता है और मंदिर में होली गा के होलियों का समापन कर दिया जाता है।

बहुत जगह होलियों में ठंडाई पीने का भी चलन हैं पर महिलायें और बच्चे इन चीजों से दूर रहते हैं। अब ठंडाई की जगह शराब पीकर भी लोग मस्त हो लेते हैं।

अन्त में होली की ढेर सारी शुभकमानाओं के साथ मैं अपनी पसंद की एक प्रसिद्ध होली यहां पर दे रही हूं जो कुमाउं की एक प्रचलित होली है जिसे आशीष के तौर पर गाया जाता है -

हो मुबारक मंजरि फूलों भरी
ऐसी होरी खेलें जनाब अली

बारादरी में रंग बनो है,
हसन बाग मची होरी।
ऐसी होरी खेलें जनाब अली।।

जुग जुग जीवें मित्र हमारे
बरस-बरस खेलें होरी।
ऐसी होरी खेलें जनाब अली।।

25 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

जैसा कि आप हमेशा से विषय की बहुत लाजवाब जानकारी देती हैं अबकि बार होली कि आपने बहुत अच्छी जानकारी दी. शुभकामनाएं.

आपको परिवार सहित होली की घणी रामराम.

Udan Tashtari said...

आभार इतनी अच्छी तरह इत्मिनान से जानकारी देने का.

-बहुत खूब!!


होली महापर्व की बहुत बहुत बधाई एवं मुबारक़बाद !!!

नीरज गोस्वामी said...

होली की ढेरों रंग बिरंगी शुभकामनाएं.
नीरज

अविनाश said...

होली की शुभकामनाएं.

Unknown said...

रंगों के इस त्यौहार होली में आपको रंगीन बधाई ।

रंजू भाटिया said...

होली की बहुत बहुत बधाई...

अभिषेक मिश्र said...

जो नर जीवें खेलें फाग...
मन में छुपी तमाम ग्रंथियों को निकाल जिन्दादिली का उत्सव है होली.

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर लगा ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।

Unknown said...

aapne bahut achhe se holi ke baare mai bataya

aapko bhi holi ki shubhkaamna

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

होली की सपरिवार शुभकामनाएँ आपको !

P.N. Subramanian said...

बहुत ही लाजवाब वर्णन.आभार. होली की शुभकामनायें.

Manish Kumar said...

बढ़िया विवरण दिया आपने अपनी तरफ की होली का ! होली की ढेरो शुभकामनाएं।

Unknown said...

Bahut achhe se apne kumauni holi ka varnan kiya hai

holi ki shubhkaamna aapko

ghughutibasuti said...

कुमाँऊ की होली के बारे में जानकर अच्छा लगा।
होली की शुभकामनाएँ !
घुघूती बासूती

Alpana Verma said...

होली की रंग बिरंगी शुभकामनायें

अफ़लातून said...

शुभ होली.

Sudhir (सुधीर) said...

सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Science Bloggers Association said...

होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

hem pandey said...

हो हो होलक रे
हो हो होलक रे
बरस दिवाली बरसे फाग
हो हो होलक रे
जो नर जीयें खेलें फाग
हो हो होलक रे
आज को बसंत केका घरा
हो हो होलक रे
आज को बसंत 'अमुक' जी का घरा
हो हो होलक रे
उनरी पूत परिवार जे रो लाखे बरीस
हो हो होलक रे

-आज की होली न्है गे छ
अब फागुन ऊलो कै गे छ

Anonymous said...

hameshaa nayaa karne ka sahas hame
ab kahaan le jaa rahaa sochne ki baat hai magar paramparaa kaayam hai yahi baat khushi badhaati hai

Smart Indian said...

लाजवाब जानकारी के लिए आभार

समीर सृज़न said...

आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ..और सबसे पहले आपको बधाई देना चाहता हूँ.
होली के बारे में इतनी अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद..होली अपनी विविद्धता के लिए प्रसिद्ध्य है..कुमायु की होली तो वाकई में लाजबाव है..

Harshvardhan said...

happy holi vineeta ji ....

BrijmohanShrivastava said...

कुमाऊं ,मालवा ,बुंदेलखंड के होली गीत या फाग गीत में कोई विशेष फर्क नहीं है /जानकारी के लिए धन्यवाद

मुनीश ( munish ) said...

excellent! marvellous! why did i miss it earlier? happy holi !