कल मैं नैनीताल से कुछ दूर एक गांव की ओर ट्रेकिंग पर निकल गयी थी। हालांकि मौसम धुंध भरा था पर तेज बारिश नहीं थी इसलिये जाने में बुराई तो नहीं थी पर ये जरूर था कि शायद घने धंुध में अच्छी तस्वीरें न मिलें पर फिर भी कभी-कभी धुंध में भी कुछ तस्वीरें मिल ही जाती हैं।
जहां ट्रेकिंग के लिये गई वहां एक छोटा सा गांव था। गांव को पार करते हुए जब जंगल की तरफ निकले तो कुछ ऐसा दिखा जिसकी उम्मीद नहीं थी। उंची पहाड़ी पर स्थानीय मंदिर, जिसके बारे में बाद में पता चला कि वो भूमिया देव का मंदिर है जो गांव की भूमि और जानवरों की रक्षा करते हैं। इस मंदिर से कुछ आगे निकले तो एक बेहद पुराना खंडहर दिखायी दिया। सूनसान जंगल में घने धुंध के बीच वो खंडहर भूतहा इमारत जैसा लग रहा था। जब उसके पास जाकर देखा तो वो ब्रिटिश जमाने की भव्य इमारत लगी जो अब बुरी तरह टूट चुकी थी और इसके अंदर घनी झाडि़यां उग आयी थी। जिस कारण इसके अंदर जाना तो संभव नहीं हुआ पर बाहर से इसकी कुछ तस्वीरें जरूर ले ली। इस खंडहर के बारे में कोई भी जानकारी किसी से नहीं मिल पाई सो कुछ बता पाना तो मुश्किल है पर हां इतना जरूर है कि यह खंडहर लगभग 100 साल से ज्यादा पुराना तो होगा ही। यहां पर इसी छोटी सी ट्रेकिंग की कुछ तस्वीरें...
जहां ट्रेकिंग के लिये गई वहां एक छोटा सा गांव था। गांव को पार करते हुए जब जंगल की तरफ निकले तो कुछ ऐसा दिखा जिसकी उम्मीद नहीं थी। उंची पहाड़ी पर स्थानीय मंदिर, जिसके बारे में बाद में पता चला कि वो भूमिया देव का मंदिर है जो गांव की भूमि और जानवरों की रक्षा करते हैं। इस मंदिर से कुछ आगे निकले तो एक बेहद पुराना खंडहर दिखायी दिया। सूनसान जंगल में घने धुंध के बीच वो खंडहर भूतहा इमारत जैसा लग रहा था। जब उसके पास जाकर देखा तो वो ब्रिटिश जमाने की भव्य इमारत लगी जो अब बुरी तरह टूट चुकी थी और इसके अंदर घनी झाडि़यां उग आयी थी। जिस कारण इसके अंदर जाना तो संभव नहीं हुआ पर बाहर से इसकी कुछ तस्वीरें जरूर ले ली। इस खंडहर के बारे में कोई भी जानकारी किसी से नहीं मिल पाई सो कुछ बता पाना तो मुश्किल है पर हां इतना जरूर है कि यह खंडहर लगभग 100 साल से ज्यादा पुराना तो होगा ही। यहां पर इसी छोटी सी ट्रेकिंग की कुछ तस्वीरें...