Thursday, July 15, 2010

कुमाऊँ का एक मुख्य पर्यटन स्थल है बागेश्वर


बागेश्वर कुमाऊँ का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यह नीलेश्वर और भीलेश्वर पर्वत श्रृंखलाओं के बीच सरयू, गोमती व विलुप्त सरस्वती नदी के संगम पर बसा है। पुराने समय से ही बागेश्वर को व्यापारिक मंडी के रूप में जाना जाता है। बागेश्वर में प्रतिवर्ष के बागनाथ मंदिर में ही प्रतिवर्ष विश्वप्रसिद्ध उत्तरायणी मेला भी लगता है।

प्राचीन समय में दारमा, व्यास, मुनस्यारी के निवासी भोटियों और साथ ही मैदान के व्यापारी भी इस मेले में आते थे। भेटिया जाति के लोग ऊन से बने वस्त्रों और जड़ी-बूटियों को बेचते थे और उसके बदले में अनाज व नमक इत्यादि जरूरत का सामान यहां से ले जाया करते थे। इसी कारण वर्तमान में नुमाइश मैदान कहे जाने वाले स्थान को पहले दारमा पड़ाव व स्वास्थ्य केन्द्र वाले स्थान को भोटिया पड़ाव कहा जाता था।

बागेश्वर के संगम पर हमेशा ही स्नान पर्व चलते रहता है। अयोध्या में बहने वाली सरयू और बागेश्वर की सरयू नदी एक ही मानी जाती है। सरमूल से निकलकर बागेश्वर से बहते हुए पिथौरागढ़ तक इसे सरयू उसके आगे टनकपुर तक इसे रामगंगा तथा टनकपुर से आगे इसे शारदा नाम से जाना जाता है। तथा अयोध्या में इसे पुन: सरयू नाम से पुकारा जाता है।

बागेश्वर का जिग्र स्कन्द पुराण के मानस खंड में भी किया गया है। इसके अनुसार बागेश्वर की उत्पत्ति आठवीं सदी के आस-पास की मानी जाती है। और यहां के बागनाथ मंदिर की स्थापना को तेरहवीं शताब्दी का बताया जाता है।


1955 तक बागेश्वर ग्राम सभा में आता था। 1955 में इसे टाउन ऐरिया माना गया। सन् 62 में इसे नोटिफाइड ऐरिया व 1968 में नगरपालिका के रूप में पहचान मिली। 1997 में इसे जनपद बना दिया गया।

स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर का महत्वपूर्ण स्थान है। कुली बेगार आंदोलन की शुरुआत बागेश्वर से ही हुई थी। बागेश्वर अपने विभिन्न ग्लेशियरों के लिये भी विश्व में अलग स्थान रखता है। इन ग्लेशियरों के नाम है - सुंदरढु्रगा, कफनी और पिण्डारी ग्लेशियर






7 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बागेश्वर वाकई घूमने योग्य है। इस मनोरम स्थल की जानकारी हेतु आभार।
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पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।

निर्मला कपिला said...

कुछ तो हम दोनो के बीच जरूर है। आज युम्हें याद कर रही थी कि इस पोस्ट पर नज़र पड गयी। कैसी हो? लगा जैसे तुम्हारे साथ ही घूम रही हूँ। तस्वीरें और होती तो अच्छा था। आशीर्वाद।

P.N. Subramanian said...

बागेश्वर की इस सुन्दर जानकारी के लिए आभार.

VICHAAR SHOONYA said...

कुमाऊँ कि मेरी पसंदीदा जगह है बागेश्वर . बहुत बार गया हूँ पर कभी उत्तरायणी मेले में नहीं जा पाया. उस वक्त काफी ठण्ड होती है. बहुत अच्छा आलेख. धन्यवाद.

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

उम्दा पोस्ट

आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता में

भूली बिसरी बात पुरानी,
याद आई है एक कहानी

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

bahut sundar... aapki is post ko padhkar bagheshwar ghoomne ki ichchha jaag gaii... achcha presentation..

Happy Blogging

मुनीश ( munish ) said...

A-One ! Yahi to hai Jadoo apke blog ka !