Monday, April 20, 2009

अभी भी कई खुबसूरत झीलें हैं नैनीताल में

नैनीताल से 23 किमी दूर सातताल नाम की एक बहुत ही खुबसूरत जगह है। यहां पर सात तालों - गरूड़ ताल, नल-दमयंती ताल, राम, लक्ष्मण, सीता ताल तथा पुर्ण ताल, सुखा ताल।

सबसे पहले जो ताल पड़ती है वो है नल-दमयंती ताल। पौराणिक कथाओं के अनुसार नल दमयन्ती झील का नाम एक राजा नल और उसकी पत्नी दमयन्ती के नाम पर पड़ा जो यहां पर आये थे और बाद में इस ताल में ही उनकी समाधि बन गयी। उस समय में यह ताल बहुत बड़ी थी और इससे लगभग पूरे गांव में सिंचाई की जाती थी इसी कारण यहां की खेती भाबर की खेती को भी मात करती थी और यहां पर बहुत घना जंगल भी था जो अब खत्म होने लगा है।

उसी समय एक महात्मा के द्वारा इस झील में मछलियां पाली गई थी और ऐसी मान्यता रही कि इस झील में कभी भी मछलियां नहीं मारी जा सकती हैं। यह मान्यता आज भी बनी हुई हैै जिस की वजह से इस झील में आज भी काफी बड़ी और प्रमुख मछलियों का अस्तित्व बचा हुआ है। इन मछलियों में प्रमुख हैं सिल्वर कार्प, गोल्डन कार्प और महासीर जिन्हें बिना किसी मेहनत के झील के बिल्कुल सापफ पानी में यहां वहां घूमते हुए आसानी के साथ देखा जा सकता है।



इसके बाद गरूड़ ताल पड़ती है। यह छोटी सी ताल है और इसका पानी बहुत ही साफ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस झील के पास पांडवों के वनवास के दौरान द्रोपदी ने अपनी रसोई बनाई थी। द्रोपदी द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले सिल-बट्टा आज भी यहां पे पत्थरों के रूप में मौजूद है। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस पूरे इलाके में पांडव अपने वनवास के दौरान रहे थे।



इसी ताल से कुछ आगे राम, लक्ष्मण, सीता ताल है। यह ताल सबसे बड़ी ताल है जिसमें तीनों ताल एक साथ जुड़ी हुई है। 65 वषीZय एक स्थानीय महिला से जब मैंने यह पूछा कि इसे राम, लक्ष्मण, सीता ताल क्यों कहते हैं ? क्या यहां राम, लक्ष्मण, सीता भी कभी रहे थे ? तो उनका कहना था कि रहे ही होंगे क्योंकि किसी भी जगह का नाम ऐसे ही तो नहीं पड़ता पर हमें तो जो पता है उसके अनुसार यहां पांडव लोग भी रहे थे और यहीं भीम ने हिडम्बा राक्षसी का अंत किया था। सूखा ताल और पूर्ण ताल झीलों का अस्तित्व लापरवाहियों के चलते अब समाप्त हो गया है। पर इन दो झीलों के अलावा जो झीलें हैं वो आज भी अच्छी स्थिति में हैं।



अंग्रेजों के समय में इस जमीन में चाय की काफी अच्छी खेती हुआ करती थी जिस कारण इसे जून स्टेट भी कहते हैं। परन्तु अंग्रेजों के चले जाने के साथ ही इसका भी विनाश हो गया पर अब सराकर ने चाय की खेती से संबंधित कुछ परियोजनायें इस क्षेत्र में शुरू की है।

यहां एक प्राचीन चर्च भी है जो अपने शिल्प के लिये काफी मशहूर है। सातताल से ही 7-8 किमी. की खड़ी चढ़ाई तय करके हिडम्बा देवी का मंदिर भी है। इस मंदिर में जो बाबा जी रहते हैं उन्होंने कई प्रजातियों के पेड़-पौंधे, फूल और जड़ी-बूटियां यहां पे लगाई हैं जिस कारण इस स्थान पे विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियां देखने को भी मिल जाती हैं।

तस्वीरें : गूगल सर्च से साभार





21 comments:

P.N. Subramanian said...

विनीताजी आपतो तुल पड़ी हैं. भोपाल वाले बोलते है कि हमारी तो झीलों की नगरी है. परन्तु जो आप बता रही हैं उससे तो स्पष्ट हो रहा है कि नैनीताल के आगे सब फीके हैं. आपके पिछवाडे एकाध कमरे का इंतजाम हो जाए तो फिर क्या कहने. बहुत ही सुन्दर जानकारी दी आपने. आभार.

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

विनीताजी

आपने नैनिताल के बारे मे अच्छी जानकारी दी है- आभार्।

Unknown said...

Vineeta ji maza aa gaya. itni garmi ke mausam mai apne thandak pahuncha di

Udan Tashtari said...

आभार इस बहुत अच्छी जानकारी के लिए. तस्वीरें भी उम्दा हैं.

Anonymous said...

अच्‍छी जानकारी दी है आपने।

Unknown said...

Kafi lamba samay beet chuka hai in jagaho mai jaye hue. aaj apne photo dikha ke aur jheelo ke baare mai likh ke purani yaado ko taza kar diya. dhanyawaad

Ashok Pandey said...

प्रकृति और परंपरा - ये दोनों हमें सम्‍मोहित करती हैं, इनके साहचर्य का मोह हम छोड़ नहीं पाते। आपने जिस स्‍थल का वर्णन किया है, वहां इन दोनों का अनुपम मेल है...निश्चित तौर पर वहां की छटा अद्वितीय होगी।

अभिषेक मिश्र said...

इन तालों के बारे में रोचक जानकारी दी आपने.

Ashish Khandelwal said...

बहुत अच्छी जानकारी.. लगता है अब तो नैनीताल अब तो फिर से आना ही पडेगा.. पिछली बार जब यहां आया तो सातों ताल आधे दिन के समय में ही दिखा दिए गए थे.. एकाध जगह बोटिंग के अलावा अब कुछ याद नहीं था.. आपने फिर से सभी की याद ताजा करा दी..

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत अनछुई जानकारी दी आपने नैनीताल के तालों के बारे में. ऐसी जानकारी जो हमें उपलब्ध ही नही. बहुत धन्यवाद आपको इस जानकारि के लिये.

रामराम.

संगीता पुरी said...

सुंदर तस्‍वीरें ... सुंदर जानकारी ... धन्‍यवाद।

"अर्श" said...

वाह बहोत खूब... आपके पास तो जानकारी का भण्डार है ... वाकई बहोत ही खूबसूरती से पेश करी है आपने...ढेरो बधाई कुबूल करें..


अर्श

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत सुंदर जानकारी .

मुनीश ( munish ) said...

Thanx a lot Vineeta ji for this amazing post . Right now my proposed trip to Sat-Taal seems in a lurch as some bloggers are calling this bike trip Male Chauvinistic. Anyhow, im indebted to u for responding to my request.

L.Goswami said...

सुन्दर चित्र .. मन प्रसन्न हो गया देख कर. अच्छी जानकारी दे रही हैं आप. धन्यवाद.

रंजू भाटिया said...

बहुत अच्छी सुन्दर जानकारी दी है आपने ..विनीता जी ..नेनीताल बहुत पहले जाना हुआ था ..अब सब पढ़ के फिर से जाने को दिल हो रहा है ..:) शुक्रिया

नीरज मुसाफ़िर said...

विनीता जी, मैंने अभी तक नैनीताल और भीमताल ही देखे हैं. अभी और भी ताल देखने हैं. ये सातताल तो नैनीताल के नक्शे में भी नहीं दीखते. सातताल जाने का सही वाहन क्या है और कहाँ से मिल जाता है, मेल करके जरूर बता देना. धन्यवाद.

शोभना चौरे said...

विनीता जी नेनीताल के बारे मे अपने काफ़ी अच्छी जानकारी दी .
धन्यवाद

admin said...

वाकई झीलें देखनी हों, तो फिर उसके लिए नैनीताल से अच्छी जगह हो ही नहीं सकती। इन जानकारियों के लिए आभार।
----------
TSALIIM.
-SBAI-

मुनीश ( munish ) said...

vineeta ji ,
what next ??? Regards.

munish

साईट एडमिन said...

Nainital area was also known as "Chhakhata" means area of sixty lakes but only few are remaining now. There are two lakes which are not easily accessible are situated in Okhalkanda Block namely Lohkham Tal and Harish Tal but very less information is available about those lakes even to the natives of Nainital area like me.