मैंने अपनी पिछली पोस्ट में काशीपुर के इतिहास के बारे में लिखा था। कुमाऊं के प्रसिद्ध कवि गुमानी यहीं पैदा होते थे। सिद्धेश्वर जी के कहने पर मैं गुमानी जी की काशीपुर पर लिखी रचना यहां लगा रही हूं।
कथावाले सस्ते किरत धर पोथी बगल में।
लई थैली गोली घर-घर हसीमी सब करै।।
रंगीला-सा पत्रा कर शरत जोशी सब बनै।
अजब देखा काशीपुर शहर सारे जगत में।।
यहाँ ढेला नहीं उत बहत गंगा निकट में।
यहाँ भोला मोटेश्वर बहत विश्वेश्वर वहाँ।।
यहाँ संडे दंडे कर धर फिरें साँड उत्तही।
परक क्या है काशीपुर शहर काशीनगर में।।
कथावाले सस्ते किरत धर पोथी बगल में।
लई थैली गोली घर-घर हसीमी सब करै।।
रंगीला-सा पत्रा कर शरत जोशी सब बनै।
अजब देखा काशीपुर शहर सारे जगत में।।
यहाँ ढेला नहीं उत बहत गंगा निकट में।
यहाँ भोला मोटेश्वर बहत विश्वेश्वर वहाँ।।
यहाँ संडे दंडे कर धर फिरें साँड उत्तही।
परक क्या है काशीपुर शहर काशीनगर में।।
5 comments:
पुरानी शैली है, अच्छा लगा ,आभार.
बहुत से शब्द स्थानीय होंगे. अच्छा लगा.
इस शैली की रचना पढवाने हेतु बहुत आभार. शुभकामनाएं.
रामराम.
अच्छा लगा कवि गुमानी को पढ़ना.
बहुत बढ़िया !
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