Tuesday, March 23, 2010

ऐसा है काशीपुर का इतिहास

काशीपुर उत्तराखंड का तराई वाला शहर है। काशीपुर का इतिहास भी बिल्कुल अनोखा है।

काशीपुर को हर्ष के समय (606-641 ए.डी.) में गोविषाण नाम से जाना जाता था। लगभग इसी समय में यहाँ चीनी यात्री ह्वेनसांग भी आया था। इस जगह का नाम काशीपुर, चन्द राजा काशीनाथ अधिकारी के नाम पर पड़ा। जिन्होंने इसे 16-17वीं शताब्दी में बसाया था। काशीपुर चन्द राजाओं का निवास स्थल रही है। कुमाऊँ के प्रसिद्ध कवि गुमानी की जन्मस्थली भी काशीपुर ही रही।
 
काशीपुर के पुराने किले को उज्जैन कहा जाता है। उज्जैन किले की दीवारें 60 फुट ऊँची है और इसमें इस्तेमाल हुई ईंटें 15x10x2.5 इंच की हैं। इस किले में उज्जैनी देवी की मूर्ति स्थापित है। यहाँ चैत माह में चैती का मेला लगता है।  इसके पास द्रोण सागर है। ऐसी मान्यता है कि इस सागर को पाण्डवों ने अपने गुरू द्रोणाचार्य को गुरूदक्षिणा के रूप में देने के लिये बनाया था। यह 600 वर्ग फुट का है। इसके किनारे कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं। द्रोणसागर को अब आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट का संरक्षण प्राप्त है।

इसके पास मोतेश्वर महादेव का मंदिर है। इसे शिव के बारह ज्यार्तिलिंगों में से एक माना जाता है। इसके पास में ही जागेश्वर महादेव को मंदिर भी है जो 20 फुट ऊँचा है। काशीपुर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है बाल सुन्दरी का, जिसे चैती देवी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ नवरात्रियों में मेला लगता है। इस मंदिर का शिल्प मस्जिद के समान है जिससे यह पता लगता है कि इसे शायद मुगल साम्राज्य के समय में बनाया गया होगा।



चैती देवी का मंदिर



7 comments:

मुनीश ( munish ) said...

are vaah ! masjid jaisa mandir ! Jai Kashipur !

P.N. Subramanian said...

कहीं ऐसा तो नहीं की हम लोगोने किसी मस्जिद को ही चीन लिया हो. बहुत सुन्दर. आभार

"अर्श" said...

badhiya hai kashipur aanaa hi padega lagta hai... :)


arsh

डॉ. मनोज मिश्र said...

यह भी अच्छी जानकारी,आपका धन्यवाद.

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

सुन्दर जानकारी काशीपुर का।

siddheshwar singh said...

गुमानी पंत ने काशीपुर के बारे में जो लिखा है व भी यहाँ हो जाए तो कहने !

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

kashipur ke bare me jankar bahut achcha laga..

Happy Blogging