Tuesday, August 25, 2009

मेरी कॉर्बेट फॉल की यात्रा

कॉर्बेट फॉल की मेरी यह यात्रा करीब 4 साल पहले की है। इस यात्रा की प्लानिंग भी अचानक ही दोस्तों के साथ बनी थी और अकसर अचानक में बने हुए ऐसे ही प्लान्स मजेदार भी होते हैं।

सुबह 6 बजे अचानक ही मेरी दोस्त का फोन आया और वो बोली की - विन्नी बहुत समय हो गया हम लोग कहीं भी बाहर घुमने नहीं गये हैं। आज छुट्टी है कहीं जा सकते हैं क्या ? पहले तो मुझे भी समझ नहीं आया कि आखिर एक दिन के लिये कहां जायेंगे पर अचानक ही मेरे दिमाग में कॉर्बेट फॉल का खयाल आ गया और फिर अपने बांकी के दोस्तों को भी बता दिया और सब एक स्पॉट पर मिल गये।

सुबह 9 बजे हम लोग कॉर्बेट फॉल के लिये निकल गये। नैनीताल से कॉर्बेट फॉल जाने के लिये मल्लीताल से रास्ता जाता है जो कालाढूंगी को जाता है। उसी रास्ते में कॉर्बेट फॉल भी पड़ता है। कालाढूंगी को जाने वाला यह रास्ता है बड़ा ही अच्छा। यहां से घटियों के बहुत अच्छे सुंदर नजारे देखने को मिलते हैं।

इसी रास्ते में खुर्पाताल नाम की झील भी पड़ती है। जो कि एक समय में एंग्लिंग के लिये काफी प्रसिद्ध थी। इस झील में बहुत अच्छी मछलियां है। इस झील का नजारा ऊपर से देखने में बहुत ही खुबसूरत दिखता है। झील के पास से निकलते हुए हम लोग आगे बढ़ गये। यहां से ही कुछ दूरी पर पानी का एक बड़ा सा झरना है जो सैलानियों के लिये खासे आकर्षण का विषय बना रहता है। इस झरने में बारिश के मौसम में काफी पानी बढ़ जाता है और गर्मी के मौसम में पानी कम हो जाता है। आजकल तो इसमें ठीक-ठाक पानी था। करीब एक डेढ़ घंटे में हम लोग कॉर्बेट म्यजियम में थे। कॉर्बेट म्यूजियम जो कि एक समय में जिम कॉर्बेट का घर हुआ करता था जिसमें वो सर्दियों के समय में अपनी बहन मैगी के साथ रहा करते थे। उनके इस आवास को बाद में कॉर्बेट म्यूजियम बना दिया गया। इस म्यूजियम के अंदर जिम से जुड़ी ही सभी चीजों को संभाल कर रखा गया है। यहां तक की जिम के अपने हाथों से बनाये कुर्सी मेज तक को भी इस म्यूजियम में संभाल के रखा गया है। इस म्यूजियम से कुछ दूरी पर ही कॉर्बेट के कुत्तों की कब्र भी बनी हुई है जो जिम के साथ शिकार में जाया करते थे।
म्यूजियम में अच्छा समय बिताने के बाद हम लोग कॉर्बेट फॉल वाले रास्ते में निकल गये। जो कि वहां से कुछ ही दूरी पर है। कॉर्बेट फॉल पहुंचने के लिये लगभग 2-3 किमी. का एक पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। इस रास्ते में अच्छा खासा जंगल है। और कई तरह के हर्बल पेड़े-पौंधे भी यहां पर मिल जाते हैं। करी पत्ता की तो बहुत ही झाड़ियां इस रास्ते में है जिसे हम अपने घर के लिये भी लेकर आये।

इस रास्ते को बहुत अच्छा बनाया गया है और इसका प्राकृतिक सौंदर्य के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं की गई है। बीच-बीच में छोटी-छोटी पानी की जलधाराओं को पार करने के लिये जो लकड़ी के पुल बनाये गये हैं उन्होंने तो मुझे खासा आकर्षित किया। इस रास्ते में काफी पैदल चले जाने के बाद अचानक ही हम लोगों की नजरों के सामने कॉर्बेट फॉल था। आजकल इसमें पानी में काफी था सो कुछ ज्यादा ही विशाल नजर आ रहा था। झरने के देखते हुए हम लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। इससे पहले तक कॉर्बेट फॉल को चित्रों में ही देखते थे पर अभी वो नजारा हमारी नजरों के सामने था।

बिना कोई समय गंवाये हम सब लोग झरने के नजदीक चले गये और पानी में खेले बगैर तो हममें से कोई भी मानने वाला था नहीं इसलिये काफी देर तक पानी में खेलते रहे। उसके बाद कुछ देर तक हम लोग झरने के आसपास का इलाका घूमते रहे और झरने के उपर की तरफ जाने लगे। तभी हमारे एक दोस्त ने ऐसा करने के लिये मना कर दिया क्योंकि वहां काफी फिसलन थी। हमें भी उसकी बात सही लगी इसलिये वो खयाल हमने छोड़ दिया। इस जगह आकर हमें एक बार फिर यह एहसास हुआ कि प्रकृति कितनी सुंदर होती है और उसमें पता नहीं क्या जादू होता है कि पलभर में ही हमारे सारे तनाव सारी परेशानियों को गायब कर देती है। एक खुशनुमा दिन इस जगह पर बिताने के बाद हम लोग वापस नैनीताल की ओर लौट लिये किसी और दूसरी यात्रा में जाने के लिये...



19 comments:

  1. Bahut lambe samay ke baad apka yatra vritant parne ko mila aur ek baar fir maja aa gaya apke sath yatra karke

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  2. कॉर्बेट फॉल के अनुभव को आपके शब्दों और चित्रों ने इतना साकार कर दिया कि लगा हम भी वहां ही सैर कर रहे हैं.. हैपी ब्लॉगिंग.

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  3. humesh ki tarah jankari bhari achhi yatra.

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  4. ये तो टाइगर -फाल जैसा ही है बल्कि कुछ बड़ा ही और वो भी इतना पास ,बिना ख़ास पहाडी ड्राइव के , फिर भी मैं यहीं न गया ...देस-बिदेस फिर मारा ! ये सोच कर बहुत शर्म आ रही है खुद पे !कई बार सोचता हूँ नेट -कनेक्शन कटवा दूं , फिर ऐसी ही कोई पोस्ट मेरा इरादा बदल देती है .मैं जाऊंगा वहां .

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  5. बहुत सुन्दर चित्र और उतना ही सुन्दर चित्रण...
    नीरज

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  6. हमेशा की तरह रोचक और सारगर्भित।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  7. सुन्दर चित्रों के साथ बहुत ही बढ़िया यात्रा विवरण.

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  8. आपके सुंदर चित्रों ने और आपकी मनमोहक लेखन शैली ने कार्बेट फ़ाल की यात्रा पाठकों को करवा दी. यही आपके लेखन की विशिषेता है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  9. 'प्रकृति कितनी सुंदर होती है और उसमें पता नहीं क्या जादू होता है कि पलभर में ही हमारे सारे तनाव सारी परेशानियों को गायब कर देती है।' agree with you.
    beautiful!!!

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  10. बहुत सुन्दर जगह जाना पड़ेगा यहाँ तो जल्द ही :)

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  11. विनीता जी...अब तो मुझे आपसे ईर्ष्या होने लगी है....कि भूत होकर भी मैं यहाँ खूंटे से बंधकर रह गया हूँ....और आप.....बाप रे बाप.....ऊं..ऊं....ऊं....ऊं.....ओ मम्मी....!!मुझे भी घूमा कर लाओ ना....या फिर विनीता जी के पास ही भेज दो ना....उनकी स्टेपनी ही बन कर घूम-घूम आउंगा मैं.....ऊं...ऊं....ऊं....ऊं.....!!!!

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  12. विनीता जी.
    बढीया प्रस्तुति सुन्दर मनमोहक चित्र, मजेदार रही यह यात्रा भी

    हे! प्रभु यह तेरापन्थ
    मुम्बई-टाईगर

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  13. कमाल है विनीता.
    आज पहली बार कार्बेट फाल के बारे में सुना है. इस मौसम में तो यह अपनी पूरी खूबसूरती पर होगा. बनाते हैं किसी दिन प्लानिंग.
    भाई मुनीश जी, मैं भी जाऊँगा.

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  14. झरनों में सबसे अच्छी बात ये होती है कि अक्सर जब आप उनके पास पहुँच कर थका थका महसूस कर ही रहे होंगे कि वो अपनी ठंडी फुहारों से शरीर की थकावट हर लेते हैं।

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  15. वाह आपने घर बैठे इतने महत्वपूर्ण स्तान की यात्रा करवा दी धन्यवाद । प्रकृति का जादू यहाम दिखाई देता है । सुन्दर प्रस्तुति ।

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