Monday, August 10, 2009
इस तरह जगमगाया पहली बार नैनीताल
नैनीताल के इतिहास में 1 सितम्बर 1922 का दिन एक ऐतिहासिक दिन था क्योंकि इसी दिन नैनीताल पहली बार बिजली की रोशनी से जगमगाया था।
उस समय नैनीताल नॉर्थ प्राविंस की रात्कालीन राजधानी था और इस शहर में को बिजली से रोशन करना अंग्रजी हुकुमत का एक सपना था और इस सपने को हकीकत में लाने की शुरूआत 1919 में हुई जब अंग्रेजों को नैनीझील की सुंदरता को रात के समय बिजली की रोशनी में देखने का हुआ। तभी नैनीताल के प्राकृतिक जल संसाधनों से बिजली बनाने का विचार आया। इस कार्य के लिये पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा मसूरी म्यूनिसिपल बोर्ड के विद्युत अभियंता मिस्टर बेल तथा इंगलैंड की मैथर एंड प्लाट्स कंपनी के प्रतिनिधियों से संपर्क किया गया।
पहले यह प्रस्ताव 11,09,429 रुपय का था पर बाद में इसमें लगे श्रम के कारण इसकी कीमतें बढ़ गई और यह प्रस्ताव 20,72,383 रुपये हो गया। इस कार्य के लिये नैनी झील के पानी को 1 हजार वर्ग इंच क्षेत्रफल के 6280 फिट लंबे पाइपों की सहायता से 355 मीटर के हैड द्वारा 1100 किलोवॉट विद्युत का उत्पादन किया गया।
इस कार्य के लिये मैथर एंड प्लाट्स, गिलबर्ट एंड गिलकर व एकर्सन हीप की निहायत ही भारी मशीनों व अल्टीनेटर के हिस्सों को शेपफील्ड, मैनचेस्टर, लिवरपूल इंगलैंड से पानी के जहाजों, रेल व उसके बाद पावर हाउस तक बैलगाड़ियों द्वारा लाया गया। यह पावर हाउस दुर्गापुर में स्थिति था। पावर हाउस में तीन प्लेटन व्हील और अल्टीनेटरों से विद्युत उत्पादन का काम शुरू हो गया। इस पावर हाउस के तीन सब पावर स्टेशन कचहरी, जल संस्थान व सूखाताल के पास बनाये गये जहां हाई टेंशन लाइनों से 3500 वोल्ट की बिजली लाई जाती थी। इस बिजली का 380 वोल्ट जलापूर्ति के लिये तथा 220 वोल्ट रोशनी के लिये इस्तेमाल किया जाता था।
28 मई 1920 को तत्कालीन म्यूनिसीपल बोर्ड ने प्रस्ताव संख्या 14 के तहत इस परियोजना के लिये 11,39,639 रुपये स्वीकृत किये। 17 जून 1922 को विद्युत अभियंता मिस्टर चेंटरी को दुर्गापुर पावर हाउस का चार्ज दे दिया गया था।
5 जनवरी 1988 को बलियानाला में भारी भूस्खलन हो जाने के बाद दुर्गापुर पावर हाउस में काम बंद हो गया क्योंकि इस भूस्खलन में पेन स्टॉक पाइप लाइन टूट गई थी जो फिर ठीक नहीं हो पाई। आज यहां रखी गई यह मशीनें बेहद निराशाजनक स्थिति में हैं जबकि इन मशीनों को बहुमूल्य विरासत की तरह सहेज कर रखे जाने की जरूरत थी।
नैनीताल के इतिहास को सहेजती ऎसी अन्य बहुत सी पोस्टों का इंतजार रहेगा भविष्य में, उम्दा है यह।
ReplyDeleteAngrejon ki kai sakaratmak denon mein ek yeh bhi hai. Aaj to pariyojnaon ki lagat files mein dabe hue hi kai guni ho jati hai.
ReplyDeleteबहुत प्यारी जगह है। जानकारी बढ़ाने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteएक तूफानी दौरे में इस खूबसूरत जगह का आधा-अधूरा मजा लेके लौटा
http://batangad.blogspot.com/2008/06/blog-post.html
bahut gyanvardhak jankari
ReplyDeleteO what a lovely post ! Unparalleled , matchless and very very mature blog !! I think people should come here simply to learn the fine art of blogging. This post is entertaining and informative as well without losing a personal touch. U deserve an award for sure.
ReplyDeleteवाह बहुत ही ऐतिहासिक और ज्ञानवर्धक जानकारी मिली. और फ़ोटो देखकर तो मन प्रसन्न हो गया..बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत रोचक जानकारी मिली आपकी इस पोस्ट से शुक्रिया
ReplyDeleteअच्छी जानकारी .. आभार !!
ReplyDeleteइस जानकारी के लिए आभार।
ReplyDeleteफ़ोटो देखकर तो मन प्रसन्न हो गया..रोचक जानकारी.
ReplyDeleteAdbhut raha hoga wah drishya.
ReplyDelete{ Treasurer-T & S }
Munish apka comment hi mere liye kisi prize se kam nahi hai...
ReplyDeletebahut bahut dhaywaad is hauslaafzai ki liye...
ऐतिहासिक दस्तावेजों के प्रष्ठ खोलती
ReplyDeleteलाजवाब पोस्ट !
जानकारी और चित्र संग्रहणीय है !
आभार एवं शुभकामनाएं !
आज की आवाज
1 सितंबर 1922 को पहली बार जगमग हुआ था नैनीताल.. बहुत अच्छी जानकारी परोस रही हैं आप इस शहर के बारे में.. आपका ब्लॉग भविष्य में नैनीताल की सम्पूर्ण जानकारी हेतु शानदार दस्तावेज साबित होगा.. हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDeleteVineta tum bahut hi achhi jankari layi ho is post ke madyam se
ReplyDeleteMubaarak ho, kal aapka blog amar ujaala men prakashit huaa tha.
ReplyDelete{ Treasurer-S, T }
नैनीताल की जगमगाती तसवीर देख कर मन प्रसन्न हो गया। रोचक जानकारी के लिये धन्यवाद।
ReplyDeleteShukriya Arshiya ji...
ReplyDeletethanks to remember history
ReplyDelete