घुघुती जी और गोविन्द प्रकाश जी ने मेरी पिछ्ली पोस्ट 'पुराना नैनीताल' में टिप्पणी की थी कि यदि में 'आज के नैनीताल' की तस्वीरें भी लगाती तो अच्छी तुलना हो जाती।
इस पोस्ट में मैं आज के नैनीताल की कुछ तस्वीरें लगा रही हूं।
तस्वीरें देखीं ! मुझे तो खुशी इस बात पर हुयी कि पहली ही तस्वीर में मेरी वाली नाव नजर आ गई !
सच्ची में अच्छा लगा !
मैं सदैव नदी को नाव के साथ और आकाश को पंक्षियों के साथ ही देखना चाहता हूँ !बचपन में जब भी सीनरी बनाता था ये दो चीजें अनिवार्य सी होती थीं !
आज का नैनीताल भी बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है ! लेकिन मैं जानता हूँ कि तस्वीरें हमेशा सच नहीं बोलतीं ! पहले और अब के नैनीताल में जो बदलाव आया है वो तो वहां जाकर ही महसूस किया जा सकता है !
एक समय था जब मैं हर साल कौसानी जाता था ........अब पता नहीं मेरा कौसानी कैसा है !
पुराने और नए नैनीताल में इतना अधिक अन्तर...........मेरा तो मन ही खट्टा हो गया.........यशस्वी जी,तस्वीरें बेशक अच्छी लगती हैं.......मगर विकास के इस घिनौने रूप ने धरती की प्राकृतिकता को पूरी तरह से नष्ट ही कर दिया है...........मैं तो अत्यन्त व्यथित हूँ........!!
विनीता जी, आपने बताया था कि नए नैनीताल की तस्वीरें भी लगा दी हैं. मानव विकास और प्राकृतिक विकास साफ़ दिख रहा है. नैनीताल दूसरे शहरों की तरह नहीं है कि कंक्रीट के जंगल से नैचुरल जंगल दब गए. यहाँ पर अभी भी बहुत कुछ है देखने को.
Aapne achha kiya NAYE aur PURANE NAINITAL ki pictures laga ke.
ReplyDeletedono samay ke nainital mai zmeen-aasmaan ka fark hai.
Kafi badal gaya hai ab nainital.
ReplyDeleteबदलाव साफ़ दिख रहा है ..सुंदर है फ़िर भी यह
ReplyDeleteहमने देखी ही नहीं है इसलिए तुलना क्या करें. अलबत्ता सुंदर लग रही है.
ReplyDeleteइस बार बनाएँगे प्रोग्राम. आभार.
फोटो काफी खूबसूरत हैं.....
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट
ReplyDeleteनये और पुराने मे फ़र्क तो बहुत है पर हम लोगो को नैनी ताल नाम से ही अच्छा लगता है. जिअन मे एक बार वहां आये हैं और कभी दम लगा लिया तो और एक बार.
ReplyDeleteमेरे पास भी वहां खींचे गये सैकडों फ़ोटोग्राफ़ हैं आज अभी देखते हैं और पुरानी यादों को ताजा करते हैं.
सुन्दर लग रहा है हमें तो.
रामराम.
कितना कुछ बदल गया है...
ReplyDeleteab badal gaya hai naya nainital vineeta ji
ReplyDeletepurana alag hai naya bilkul alag
तस्वीरें देखीं !
ReplyDeleteमुझे तो खुशी इस बात पर हुयी कि
पहली ही तस्वीर में मेरी वाली नाव
नजर आ गई !
सच्ची में अच्छा लगा !
मैं सदैव नदी को नाव के साथ
और आकाश को पंक्षियों के साथ ही
देखना चाहता हूँ !बचपन में जब भी
सीनरी बनाता था ये दो चीजें अनिवार्य
सी होती थीं !
आज का नैनीताल भी बेहद खूबसूरत
नजर आ रहा है !
लेकिन मैं जानता हूँ कि तस्वीरें हमेशा
सच नहीं बोलतीं ! पहले और अब के
नैनीताल में जो बदलाव आया है वो तो
वहां जाकर ही महसूस किया जा सकता है !
एक समय था जब मैं हर साल कौसानी
जाता था ........अब पता नहीं
मेरा कौसानी कैसा है !
पुराने और नए नैनीताल में इतना अधिक अन्तर...........मेरा तो मन ही खट्टा हो गया.........यशस्वी जी,तस्वीरें बेशक अच्छी लगती हैं.......मगर विकास के इस घिनौने रूप ने धरती की प्राकृतिकता को पूरी तरह से नष्ट ही कर दिया है...........मैं तो अत्यन्त व्यथित हूँ........!!
ReplyDeleteफ्लैट्स या भोटिया मार्केट की भी एक-ठो लगा देते, अरसा हो गया है उन्हे देखे हुए भी।
ReplyDeleteवाह यह हुई ना बात! मजा आ गया।
ReplyDeleteचित्रों के लिए धन्यवाद।
घुघूती बासूती
Aabadi badh gayi hai, magar khubsurati abhi bhi barkarar hai. Dhanyawad.
ReplyDeleteविनीता जी,
ReplyDeleteआपने बताया था कि नए नैनीताल की तस्वीरें भी लगा दी हैं. मानव विकास और प्राकृतिक विकास साफ़ दिख रहा है. नैनीताल दूसरे शहरों की तरह नहीं है कि कंक्रीट के जंगल से नैचुरल जंगल दब गए. यहाँ पर अभी भी बहुत कुछ है देखने को.