Thursday, June 29, 2017

मेरी पहली पोस्ट

काफी समय में मैंने हिन्दी ब्लाॅग पर लिखना बंद किया हुआ है पर कल ही नैनीताल में प्रतिभा कटियार जी से अचानक ही मुलाकात हो गयी। हम दोनों ही इस अचानक हुई मुलाकात से बेहद खुश थे तभी प्रतिभा जी ने मुझसे पूछा - तुम अभी ब्लागिंग कर रही हो या बंद कर दिया ? जवाब में मैंने कहा - बंद ही कर दी है तो उन्होंने एक दम से कहा - मैं तो अभी भी करती हूँ और मुझे अच्छा लगता है। काफी पुरानी यादों को भी पलट के देखने का मौका मिलता है और  कई सारे अच्छे लोगों से मुलाकात होती है। आज हम दोनों भी तो ब्लागिंग के कारण ही मिले। हैं न ?

उनकी बात तो सही थी इसलिये मैंने उन्हें वादा किया कि मैं भी कोशिश करुंगी की ब्लाॅग को अपडेट रखूं।  उनको किया अपना वादा पूरा करते हुए अभी एक छोटी सी पोस्ट ही... प्रतिभा जी के लिये...



पिछले दिनों जब नैनीताल पर्यटकों से बिल्कुल खचाखच भरा हुआ था जब शहर मे न इंसानों के चलने के लिये जगह थी और न गाड़ियों के चलने की। सब कुछ एक जगह पर रुक सा गया और पूरा शहर शांत नगरी की जगह शोरगुल और गाड़ियों के हाॅर्न की आवाजों से गूंजने लगा। तब मैंने कुछ दिन का समय निकाल कर कालाढूंगी चले जाने की सोची...

मौसम के लिहाज से ये निर्णय थोड़ा गलत ही कहा जायेगा क्योंकि कहाँ नैनीताल का सुहावना मौसम और कहाँ कालाढूंगी का उमस भरा मौसम पर पहाड़ों में हर जगह अमूमन यही स्थिति बनी हुई थी तो इसलिये कालाढूंगी का रुख ही कर लिया...

निर्णय गलत भी साबित नहीं हुआ क्योंकि हल्की सी बारिश की फुहार ने मौसम सुहावना कर दिया और ऐसे सुहावने मौसम में कालाढूंगी में शाम के समय चहलकदमी करते हुए सूर्यास्त का नजारा देखना बेहतरीन और यादगार अनुभव रहा...

फिलहाल उसी अनुभव की कुछ तस्वीरें...









4 comments:

SANDEEP PANWAR said...

विनीता जी ब्लॉग की दुनिया में पुनः स्वागत है। महीने दो महीने में पोस्ट लिखते रहा कीजिए।
वैसे मैं खुद भी बीच के एक साल नहीं लिख सका था।
कभी मूड नहीं होता लिखने का तो कभी हालात ऐसे बन जाते है कि पूछो मत...

Vineeta Yashsavi said...

Meri koshish rahegi ki mai kam se kam 2-3 post 1 maah mai jarur dalu... Sanddep ji...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (01-07-2017) को
"विशेष चर्चा "चिट्टाकारी दिवस बनाम ब्लॉगिंग-डे"
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

Onkar said...

सुन्दर चित्र