बैजनाथ अल्मोड़ा से 41 मील दूर स्थित है। इसको प्राचीन समय में वैद्यनाथ के नाम से भी जाना जाता है। वैजनाथ को कत्यूरी राजवंश के लोगों ने बसाया था। बैजनाथ के पास में ही सरयू नदी बहती है।
बैजनाथ के मुख्य मंदिर के पास ही केदारनाथ का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में शिव की मूर्ति के साथ-साथ गणेश, ब्रह्मा, महिषमर्दिनी की मूर्तियां रखी हुई हैं। इस मुख्य मंदिर के चारों ओर 15 छोटे-छोटे मंदिरों का समूह है। यह मंदिर उत्तरीय शिखर शैली से बनाये गये हैं।
बैजनाथ के मुख्य मंदिर से कुछ दूरी पर सत्यनारायण, रकस देव तथा लक्ष्मी के मंदिर स्थित हैं। सत्यनारायण मंदिर की चर्तुभुजी विष्णु प्रतिमा खासी दर्शनीय है। इस मूर्ति को काले पॉलिशदार पत्थर से बनाया गया है। यह मूर्ति बहुत विशाल है।
बैजनाथ की कई मूर्तियों को अब केन्द्रीय पुरातन विभाग ने अपने पास संरक्षित कर लिया है। इन संरक्षित मूर्तियों में शिव-पार्वती की मूर्ति तथा ललितासन में बैठे कुबेर की मूर्ति हैं। इनके अतिरिक्त सप्तमातृका, सूर्य, विष्णु, माहेश्वरी, हरिहर, महिषमर्दिनी आदि की मूर्तियां हैं।
यह वही बैजनाथ है न जहां एक बड़ा सा पत्थर है जिसे नौ लोग मिलकर मात्र अपनी एक एक उंगली से उठा सकते हैं ?
ReplyDeleteविनीता जी, बैजनाथ की जानकारी पाकर खुशी हुई। आभार।
ReplyDelete................
नाग बाबा का कारनामा।
महिला खिलाड़ियों का ही क्यों होता है लिंग परीक्षण?
ohh abhi haal mein hi apne ek fren ki profile ke background mein ye mandir dikhe the. Socha tha usse poochon ki kahan ki hain. Aaj is post se khulasa ho gaya.
ReplyDeleteबड़े इंतजार के बाद ये लेख आया. पढ़कर मन को तसल्ली हुयी. धन्यवाद.
ReplyDeleteshort but sweet post :)thnx ji.
ReplyDeletekaafi dino ke intezaar ke baad yeh post aaya hai .......sunder jaankaari ke liye dhanywad vinita ji
ReplyDeleteबैजनाथ की जानकारी पाकर खुशी हुई। jankari se bhapur post hetu abhaaaar.
ReplyDeleteकत्युरी या कल्चुरी ? यह किस सदी का मन्दिर है ?
ReplyDeleteबैजनाथ एक और भी है देघर के पास. अछि जानकारी. आभार.
ReplyDelete"अहम स्थान रहा है उत्तराखंड की लोक संस्कृति में शकुनाखरों का" यह पोस्ट नहीं मिल रही है.
बहुत ही सुंदर जानकारी दी आपने बैजनाथ पर. आभार.
ReplyDeleteरामराम.