प्रेम के बारे में एक भी शब्द नहीं
शहद के बारे में
मैं एक शब्द भी नहीं बोलूँगा
वह
जो बहुश्रुत संकलन था
सहस्त्र पुष्प कोषों में संचित रहस्य रस का
जो न पारदर्शी न ठोस न गाढ़ा न द्रव
न जाने कब
एक तर्जनी की पोर से
चखी थी उसकी श्यानता
गई नहीं अब भी वह
काकु से तालु से
जीभ के बीचों-बीच से
आँखों की शीतलता में भी वह
प्रेम के बारे में
मैं एक शब्द भी नहीं बोलूँगा।
- विरेन डंगवाल
वीरेन जी नैनीताल के बाद यहाँ भिलाई आये मुक्तिबोध फिल्म व कला उत्सव मे। दो दिन उनके साथ बिताये और मज़े की बात बतायें .. अपना संग्रह स्याही ताल वे यहाँ स्टाल से "खरीदकर" ले गये ।
ReplyDeleteप्रेम के बारे में एक भी शब्द नहीं
ReplyDeleteशहद के बारे में
मैं एक शब्द भी नहीं बोलूँगा
बहुत ही वजनदार रचना है।
बधाई!
शरद जी नैनीताल में भी हम लोगों ने विरेन दा से ही उनकी किताब खरिदवाई और उस पर उनके साइन भी लिये...
ReplyDeleteबहुत खूब लगी वीरेन जी की यह रचना..
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग
Viren da ki kavita sangrah se bahut achhi kavita tumne lagayi hai
ReplyDeletemujhe unki "Ram Singh" kavita bahut pasand hai.
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ReplyDeleteप्रेम के बारे में
ReplyDeleteमैं एक शब्द भी नहीं बोलूँगा....
लाजवाब रचना है यह ..... आहरे अर्थ भरे नयी सोच को उद्वेलित करती ............
bahut achhi kavita.
ReplyDeleteबहुत लाजवाब रचना. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
वीरेन डंगवाल हमारे समय के चर्चित हस्ताक्षर हैं। उनकी कविता पढकर अच्छा लगा।
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11वाँ राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन।
गूगल की बेवफाई की कोई तो वजह होगी?
डंगवाल साहब का जवाब नहीं।
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सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।
Vineeta ji I like Nainital and your blog too. I am In Hindustan New delhi,One of my sir know you and told about you.Its nice to read you here.Please write more about 'pahaad'.people who live there and their feelings. I feel that they have a tough life but strong will to struggle.
ReplyDeleteThanx Deepak ji...
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