आज फिर अपनी डायरी से अलेक्जेंडर पूश्किन की एक कविता लगा रही हूं। इस कविता के अनुवादक हैं कुमार कौस्तुभ
क्या रखा है मेरे नाम में
तेरे लिये ?
खत्म हो जायेगा मेरा नाम भी
जैसे, दूर समुद्र के किनारों से टकराती
लहरों का दुख भरा शोर
जैसे रात में सुनसान जंगल में
कोई आवाज़।
छोड़ जायेगा वह
इस यादगार पन्ने पर
एक बेजान निशान
जैसे किसी कब्र पर
अनजानी भाषा में गढ़ी गई इबारत।
क्या है उसमें ? क्या रखा है
बड़ी देर से
नयी विद्रोही व्याकुलताओं में ?
नहीं दे पायेंगी ये
तेरे दिल को कोमल, साफ यादें।
किंतु, बुरे दिनों में, एकांत में
दुख से लेना वह नाम,
कहना : मेरी याद अभी है
संसार में जिंदा है वह दिल
जहां जी रही हूं मैं.....
बहुत गहरी कविता पढवाने के लिये आभार.
ReplyDeleteरामराम.
VINEETA JEE BAHOT HI GAHARI AUR SAMVEDANSHIL KAVITA PADHWAANE KE LIYE AAPKA DHERO BADHAAYEE...
ReplyDeleteAAPKA
ARSH
Vineeta aap jub bhi koi kavita padhwati hai to wo bahut achhi hoti hai. humesha ki tarah is baar bhi achhi kavita
ReplyDeleteअलेक्जेंडर पुश्किन और कुमार कौस्तुभ के इस सुंदर रचनाकर्म को हम तक इस अंदाज में पहुंचाने के लिए आपका आभार..
ReplyDeleteyahan baantne ke liye shukriya.
ReplyDeleteकविता अच्छी लगी. आभार.
ReplyDeletevery nice..
ReplyDeleteI want pics vineeta jee , mere words won't do. I got hooked to ur blog because of great pictures. My apologies to admirers of Pushkin. I too like him ,but in book form only!
ReplyDeleteAn old proverb goes,"We r known by the company we keep".
ReplyDeleteI must say u have a great company 'cos i just tried Comic world link from ur blog-list . It is amazingly great,superb and matchless. Im going to fix it on my blog as well. Thanx a lot for reviving my childhood memories .
सुंदर कविता .
ReplyDeleteachchhi kavita padhvane ke liye shukriya
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बडे दिनों के बाद आपकी कोई गम्भीर रचना पढने को मिली। बधाई।
ReplyDelete----------
S.B.A.
TSALIIM.
Achhi kavita
ReplyDeleteइतनी सुन्दर कविता पढ़वाने के लिए शुक्रिया जी
ReplyDeletewah wah!
ReplyDeleteVery deep thoughts and feelings embedded in the poetry.Thanks for giving us its taste.
ReplyDeleteAlso thanks to Munish Ji for adding up my blog link and posting my collection image in his blog.
wow ! my link in ur bloglist! thnx vinita ji!
ReplyDeleteDard ke phool bhi khilte hai bikhar jaate hai,
ReplyDeleteZaKhm kaise bhi ho kuch roz mein bhar jaate hai,
Us dariche mein bhi ab koi nahi aur hum bhi,
Sar jhukaye huye chup chaap guzar jaate hai,