Tuesday, April 7, 2009
ऐसे भी लोग होते हैं
बलबीर सिंह जी फोटोग्राफी के क्षेत्र में एक जानमाना नाम हैं। आज तक बलबीर जी को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लगभग 10 प्रथम अवॉर्ड, 16 सर्टिफिकेट ऑफ मैरिट्स सहित कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। अभी तक वह राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रदशर्नियों में 600 से ज्यादा अंक हासिल कर चुके हैं। इनको इंडिया इंटरनेशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली एवं इंटनरनेशनल फोटाग्राफी काउंसिल ऑफ अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से प्लेटिनम एवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। बलवीर इस सम्मान को प्राप्त करने वाले भारत के प्रथम विकलांग छायाकार हैं।
मैं बलवीर जी को बचपन से ही उनकी गाड़ी में यहां-वहां जाते देखती थी और उनकी गाड़ी मुझे बहुत आकर्षित करती थी इसीलिये मैं उन्हें 'गाड़ी वाले सरदार जी' कहती थी पर उस समय मुझे यह मालूम नहीं था कि वो यह गाड़ी क्यों इस्तेमाल करते हैं। बहुत बाद में एक फोटो प्रदर्शनी के दौरान मुझे यह बात पता चली की वो चल नहीं पाते हैं इसलिये उस गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं। तब से उनके लिये मेरे दिल में काफी इज्जत बन गयी थी क्योंकि ऐसी अवस्था में जहां बहुत से लोग स्वयं को लाचार और बेबस समझने लगते हैं बलवीर जी ने नेचर फोटोग्राफी में अपना नाम स्थापित किया। जिस दिन मुझे उनको सामने बैठ कर उनसे बात करने का मौका मिला वो दिन मेरे लिये बहुत खास था और उसके बाद से मुझे अकसर ही बलबीर जी से बात करने और फोटोग्राफी में कुछ न कुछ सीखने के लिये मिलता ही है।
इस पोस्ट में मैं बलबीर जी से की उस बात के कुछ अंश लगा रही हूं।
प्रश्न :- बलवीर जी, आपने फोटोग्राफी की शुरूआत कैसे की ?
उत्तर :- घरेलू फोटोग्राफी करते-करते ही शुरूआत हो गयी। जब छोटा था तो घर वालों की फोटो खींचता था, पर कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस मुकाम तक पहुँच जाऊँगा। एक बार फ्यूजी फिल्म कॉम्पटीशन में अपनी एक फोटो भेज दी, जिसमें मुझे 8 फ्यूजी रील, 4 टी शर्ट और एक वॉल क्लॉक इनाम के तौर पर मिले। इस घटना से उत्साह बढ़ा और आत्मविश्वास पैदा हुआ कि मैं भी फोटोग्राफी कर सकता हूँ।
सबसे पहले मैंने एक जैनिथ कैमरा खरीदा, जिसमें मुझे जानकारी न होने के कारण धोखा भी खाना पड़ा। कैमरे की कीमत 1,500 रुपये थी पर मुझे इसके लिये 5,000 रुपये देने पड़े थे। उसके बाद मैंने कैनन का कैमरा और लैंस खरीदे जिससे फिर अच्छे स्तर की फोटोग्राफी की शुरूआत हुई।
प्रश्न :- यह सिलसिला कैसे आगे बढ़ा ?
उत्तर :- मैं लगातार अनूप साह जी को अपने खींचे हुए फोटो दिखाता। कुछ उन्हें अच्छे लगते पर अिधकांश को वे रिजेक्ट कर देते थे। शुरू-शुरू में तो मेरी फोटो खींचने की स्पीड भी काफी कम थी और ज्ञान न होने के कारण कई रोल बर्बाद भी होते थे। पर मैं मेहनत करता रहा। फिर फोटो प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया तो सफलताये मिलीं।
प्रश्न :- आपका प्रिय विषय क्या है ?
उत्तर :- मुझे नेचर फोटोग्राफी ज्यादा पसंद है। फोटोग्राफी में भी कई क्षेत्र होते हैं, जैसे कलर प्रिट और स्लाइड। कलर प्रिंट में चार तरह की फोटोग्राफी होती है नेचर, वाइल्ड, जर्नलिज्म और ट्रेवल। इन सबमें वाइल्ड फोटाग्राफी सबसे ज्यादा कठिन है, पर इसमें सफल होने के अवसर बहुत ज्यादा होते हैं। क्योंकि जो चीज देखनी ही मुश्किल है, उसका चित्र लेना तो और भी कठिन है। एक बार मेरा एक फोटो इन चारों श्रेणियों में चुन लिया गया, जो मेरे लिये किसी अजूबे से कम नहीं था। उसके बाद ही मैंने स्लाइड भी खींचने शुरू किये।
प्रश्न :- सुना है कि आप फुटबॉल के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। क्या तब भी आप फोटोग्राफी के शौकीन थे ?
उत्तर :- फुटबॉल का नहीं, क्रिकेट का। मैं क्रिकेटर ही बनना चाहता था। उस समय तो फोटोग्राफी दूर-दूर तक मेरे दिमाग में नहीं थी।
प्रश्न :- आपके साथ यह हादसा कब हुआ ?
उत्तर :- यह एक बीमारी है जिसका नाम स्पास्टिक पैराप्लीडिया है। इसकी शुरूआत धीरे-धीरे हुई। मैं उस समय 20 साल का था और क्रिकेट खेलता था। एक दिन जब मैं रन लेने के लिये दौड़ा तो मुझे लगा कि मेरे पैरों में कुछ भारीपन सा महसूस हुआ जिस कारण मैं दौड़ नहीं पा रहा था। उसके बाद यह परेशानी बढ़ने लगी। अकसर ही चलते-चलते मेरे पैर अकड़ जाते। नीचे उतरते हुए मैं अपने पैरों में नियंत्रण नहीं रख पाता। पेशाब में भी मैं नियंत्रण खोने लगा था। जब यह समस्या लगातार होती रही तो मैं डॉक्टर के पास गया। स्थानीय डॉक्टर कुछ विशेष नहीं कर सके तो चंडीगढ़ के एक डॉक्टर का परामर्श लिया। उनकी दवाइयाँ इंगलैंड से मँगवानी पड़ती थीं।
इस तमाम इलाज के दौरान लगभग एक साल बीत चुका था और मैं धीरे-धीरे इस का आदी होने लगा था। हालाँकि मेरे परिवार वालों ने मेरे इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने आयुर्वेद का भी सहारा लिया। मंदिर, मिस्जद, गिरजे, गुरुद्वारे कोई जगह नहीं छोड़ी। झाड़-फूँक तक का सहारा भी लिया।
प्रश्न :- फिर आपने अपनी जिन्दगी कैसे सँवारी ?
उत्तर :- चंडीगढ़ वाले डॉक्टर ने मेरे घर वालों से कहा कि इसे घर मैं मत बैठने देना। इसका आत्मविश्वास कम हो जायेगा। तब मैंने स्टेट बैंक की परीक्षा दी और चुन लिया गया। घर में पैसों की कमी नहीं थी पर फिर भी मुझे नौकरी करना अच्छा लगा, क्योंकि इससे समय कट जाता था। मैंने अपनी नौकरी में कोई प्रमोशन नहीं लिया क्योंकि मैं ट्रांस्फर नहीं चाहता था। फिर जब बचे हुए समय को काटने का सवाल सामने आया तो फोटोग्राफी शुरू कर दी।
प्रश्न :- मतलब, यदि आपके पैर खराब न होते तो शायद आप फोटोग्राफर भी नहीं होते ?
उत्तर :- नहीं ! तब मैं शायद क्रिकेट ही खेल रहा होता।
प्रश्न :- बैंक की नौकरी के साथ फोटोग्राफी के शौक का सामंजस्य आप कैसे बिठाते हैं ?
उत्तर :- देखिये, नौकरी का समय होता है सुबह 9 से शाम 5 बजे तक और फोटोग्राफी का समय होता है सुबह 9 बजे से पहले और शाम को 5 बजे के बाद। मैं दोनों काम आसानी से कर लेता हूँ। कभी जब बाहर जाना होता है तो मैं बैंक से छुट्टी ले लेता हूँ। पर ऐसे मौंके कम आते हैं। अपने साथी कर्मचारियों से भी मुझे पूरा सहयोग मिलता है।
मुझे सबसे ज्यादा सहयोग मिलता है मेरी गाड़ी से और मेरे घर में काम करने वाले हीरा लाल से। मैं जब सवेरे उठता हूँ और कहीं बाहर जाने की सोचता हूँ तो ये दोनों हमेशा मेरी मदद के लिये मेरे साथ होते हैं। मेरी गाड़ी तो खैर मेरे पैर हैं ही, पर हीरा लाल भी मेरे लिये कुछ कम नहीं हैं।
प्रश्न :- नेचर फोटोग्राफी एक कठिन काम है, क्योंकि प्रकृति तो आपके पास आती नहीं। आप ही को उसके पास जाना पड़ता है। तो कभी आपने असमर्थता महसूस नहीं की ?
उत्तर :- मेरे पैरों की कमी मेरी गाड़ी पूरा कर देती है। लेकिन बहुत सारी जगहें ऐसी हैं, जहाँ मैं चाह कर भी नहीं जा पाता। यह कमी अखरती तो है। फिर भी मैं संतुष्ट हूँ कि इतना कुछ तो कर पाया।
प्रश्न :- जब कभी बाहर जाते हैं तो क्या किसी को अपने साथ ले जाते हैं ?
उत्तर :- नैनीताल में तो अकेला ही चला जाता हूँ, पर बाहर जाने पर मित्रों को साथ ले जाना पड़ता है। पर आमतौर पर मुझे अकेले ही फोटोग्राफी करना पसंद है, क्योंकि उसमें आपको पूरी आजादी मिलती है।
प्रश्न :- आपको सबसे ज्यादा प्रेरणा किस से मिलती है ?
उत्तर :- प्रकृति और बच्चों से। बच्चों की मासूमियत मुझे बहुत अच्छी लगती है। उनमें सीखने की जो लगन होती है, वह मुझे बहुत प्रभावित करती है। और प्रकृति तो जितना सिखाती है, उतना कोई नहीं सिखा सकता। हिमालय, पर्वत, बादल, पतझड़, बसंत, बारिश, हवा, फूल, पत्ते सब चीजें कुछ न कुछ सिखाती हैं। इसका अहसास मुझे तब हुआ जब मैं फोटोग्राफी करने लगा। जब मैं पहली बार जिम कॉबेट पार्क गया तो वहाँ मैंने हाथियों के झुंड को बहुत नजदीक से देखा। उनमें जो अनुशासन था, वह मैंने कभी इंसानों में नहीं देखा। हम जो किसी से यह कहते हैं कि कैसा जानवर है, गलत है। हमें तो कहना चाहिये की जानवरों की तरह ही रहो। यदि ऐसा हुआ तो ये दुनिया बहुत खूबसूरत बन जायेगी।
प्रश्न :- डिजिटल कैमरे के बारे में आपके क्या विचार हैं ?
उत्तर :- मैं डिजिटल कैमरे से फोटोग्राफी करना बिल्कुल पसंद नहीं करता। इससे आपकी अपनी सर्जनात्मकता खत्म हो जाती है। आप कोई फोटो खीचते हैं और फिर उसे कम्प्यूटर द्वारा बदल देते हैं। उसमें आपका कमाल कहाँ रहा ? वह तो कम्प्यूटर का कमाल हुआ। फिर डिजिटल कैमरे के लिये कम्यूटर का ज्ञान भी होना चाहिय। कभी कम्प्यूटर खराब हो गया तो सारी मेहनत बेकार हो जाती है। प्रोफेशनल लोगों के लिये डिजिटल कैमरे फायदेमंद हैं, पर नेचर फोटोग्राफी में मैं इसकी आवश्यकता नहीं देखता।
ये है बलवीर जी की गाड़ी
बलबीर जी द्वारा खींचे गये छायाचित्र अगली पोस्ट में
Balbeer ji se ye mulakat bahut achhi aur prernadayak rahi
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद जी , आज तो आपने एक बेहतरीन सखशियत और लाजवाब इन्सान से परिचय कराया. बहुत ही सुंदर रहा यह इंटरव्यु, इनकी तसविरों के लिये इंतजार करते हैं आपकी अगली पोस्ट का.
ReplyDeleteरामराम.
अच्छी लगी बलबीर जी से हुई आपकी बात चीत ..शुक्रिया
ReplyDeleteबस अब फोटो दिखा दीजिये! दूसरी कड़ी का इंतजार रहेगा!
ReplyDeletePrerak vyaktitwa ki jaankari di aapne. Dhanyavad.
ReplyDeleteachchha laga unhe padhna..
ReplyDeleteHat's off to him.. :)
दिल ले गए बलबीर जी.....उनकी खींची गयी तस्वीर यदि इस पोस्ट में लगाती तो पोस्ट का मज़ा दुगुना हो जाता..इंतज़ार रहेगा
ReplyDeleteबलबीर जो को हम सब के सामने लाने का आभार. हमें अतिरिक्त ख़ुशी हुई यह जानकार की वे स्टेट बैंक में नौकरी करते हैं. हम भी कभी इसी बैंक से सेवा निवृत्त हुए. उनके चित्रों का इंतज़ार रहेगा.
ReplyDeleteबलबीर जी जैसी शख्शियत से परिहित करवाने का आभार यशस्वी जी
ReplyDeleteबलवीर जी का इंटरव्यु आप ने हम सब को पढ़वाया अच्छा लगा आभार ।अब अगली कड़ी- फोटो का इन्तजार है..
ReplyDeleteBalbir bhai ke bare mai padh ke achha laga. ab jaldi se unki photographs bhi laga do.
ReplyDeleteअच्छा लगी बलबीर जी के साथ आपकी बातचीत।
ReplyDeleteबलबीर जी से मिलाने के लिए धन्यवाद ... फोटो के लिए अगली कडी का भी इंतजार है।
ReplyDeletei am very reluctant when it comes to read long posts, however when i saw my city's name(nainital) over there i gave it 2nd thought , and it was worth reading (in spite of the fact there was very less bout nainital but it was anyways worth reading)
ReplyDeletewhat a man balbir and wat a post...
बलबीर जी के बारे मे अच्छी जानकारी दी है।आभार।
ReplyDeleteदृढ़ संकल्प से सब कुछ हो सकता है, साबित किया है बलबीर जी ने ।
ReplyDeleteबहुत आभार बलबीर जी के बारे में बताने का.
ReplyDeleteअगले अंक में उनके छायाचित्र देखने का इन्तजार है.
bahut achcha interview liya hai aap ne..Balbir ji ke bare mein ,un ke achievement ke baare mein jankar khushi hui.
ReplyDeleteइंडिया इंटरनेशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली एवं इंटनरनेशनल फोटाग्राफी काउंसिल ऑफ अमेरिका द्वारा
प्लेटिनम एवॉर्ड milne par unhen bahut bahut badhaayeeyan aur future ke liye shubh kamanyen.
un ke liye chhayachitr bhi dikhaayeeyega.
-abhaar
vineeta ji balveer ji ke saath aapki mulakaat bahut achchi lagi.... unke dwara khichi gayi photo jald se jald blog par lagane ki kirpa kijiye......
ReplyDeleteharsh
अच्छी लगी बलवीर जी से ये मुलाकात, फोटो भी जरूर लगाऍं, इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteBahut hi achhi mulakat ...inspirational too
ReplyDeleteविनीता जी, बिलकुल सही कहा है कि "ऐसे भी लोग होते हैं"
ReplyDeleteमेरा भी शौक नेचर फोटोग्राफी है, तो बलबीर जी की बातों से उत्साह बढा है.
balbir ji se kahiye
ReplyDeletesrajan camera club ratlam
c/o Devendra sharma
mjx ratnapuri
ratlam 457001
ph : 09424048463
ya mujhe
09827340835 par sampark karen
dhanywad
बलबीर जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा..
ReplyDeletei salute him!
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