Thursday, February 19, 2009
नैनीताल के प्राचीनतम भवन
नैनीताल का सेंट जोन्स चर्च नैनीताल की सबसे प्राचीनतम भवनों में से एक है। यह चर्च मल्लीताल में स्थित है। इस इमारत के निर्माण के लिये जगह का चुनाव सन् 1844 में कोलकाता के बिशप डेनियल विल्सन द्वारा किया गया था। इस चर्च का नाम भी उन्हीं के द्वारा किया गया था। इस इमारत का आर्किटेक्ट कैप्टन यंग द्वारा तैयार किया गया और अक्टूबर 1846 में इस इमारत का निर्माण कार्य शुरू किया गया।
उस समय इस इमारत के निर्माण में करीब 15,000 रुपये का खर्च आया था। इसे पहली बार 2 अप्रेल 1848 को जनता के लिये खोला दिया गया जबकि उस समय भी यह चर्च पूरी तरह तैयार नहीं हुआ था। सन् 1856 में इसे सरकार द्वारा सार्वजनिक इमारत के रूप में अधिकृत कर लिया गया।
उस समय से अभी तक चर्च में कुछ निर्माण कार्य और किये गये हैं। बाद के समय में इस चर्च में कुछ स्मारक बनाये गये हैं, जिनमें सन् 1880 में आये भयानक भूस्खलन में मारे गये लोगों और प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) में शहीद हुई इंडियन सविल सर्विस के सैनिकों के स्मारक हैं।
यह इमारत आज भी नैनीताल की शान बनी हुई है।
तस्वीर : गूगल सर्च से साभार
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23 comments:
ह्म्म्म.....अछा है....जानकारी के लिए धन्यवाद
हाँ ,यह इमारत देखी हुई है.इस जानकारी के लिए शुक्रिया विनीता जी.
शुक्रिया इस जानकारी के लिए ...इस लेख से जाना इस के बारे में
बहुत धन्यवाद इस जानकारी के लिये. बहुत सुंदर इमारत है यह.
रामराम.
अच्छी जानकारी ! धन्यवाद।
घुघूती बासूती
इस स्थल की लेख सैर कराने का शुक्रिया
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गुलाबी कोंपलें
चाँद, बादल और शाम
Achhi jankari di hai apne vineeta nainital ke Aitihaasik Imarto ke baare mai
Anya Imarto ke baare mai bhi janne ka intzaar rahega
बढ़िया जानकारी.
Achhi aur rochak jankari dene ki liye thanks
Mahatwapurn jaankari. Aasha hai aisi aur bhi kritiyon ki jaankari milti rahegi.
झांक चुके है जी खुशकिस्मती से इसमे
अच्छा है, नैनीताल के बारे में।
अच्छा है, नैनीताल के बारे में।
bahut sundar....
इस खूबसूरत इमारत को बहुत पहले देखा है. लेकिन निर्माण आदि के सम्बन्ध में जानकारी आज ही मिली.
विनीता जी,
ये तो बता देती कि ये चर्च नैनीताल में है कहाँ पर?
jaane kyaa baat hai
ham aaj tak imaaraton ke daur se sirf khandaharon tak hi seemit rahe
bharat bhar me aadhunik nirmaan aur ab videshi suvidhaaon ko dekhne jaate rahe.
dhanywaad aapne isaai charchon kaa bhartiy itihaas likh prernaa di ki ye bhi thikaane ho sakte hain dekhne yogy .
magar matar gasti karne walon ko yah ruchikar shayad hi lage
शुक्रिया इस जानकारी के लिए ....!!
ab aap khud nainital ki he to vanha ki jaankaari bhee pusht dengi..
achcha laga, laga ki nainitaal jaroor dekhne jaau, ab ye to samay pr nirbhar he kintu aapke aalekh se thoda bahut to ghoom hi liya hu.
dhnyavaad.
यहाँ बहुत अच्छी अच्छी ऐतिहासिक जानकारी मिल जाती है ,जो घूमने फिरने में असमर्थ हैं ,उन्हें भी लाभ मिल जाता है ,बहुत बहुत बधाई
जानकारी हेतु हार्दिक आभार।
जानकारी हेतु हार्दिक आभार।
behad bhavya imarat lag rahi hai ye
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