गांधीजी से संबंधित यह कार्टून मैंने बहुत पहले इकट्ठा किये थे जिन्हें आज अपने ब्लॉग पे लगा रही हूं।
ब्रिटेन के कट्टर रूढ़िवादियों ने कहा कि नमक सत्याग्रह को कुचलने के लिये ब्रिटिश राज ने जो नृशंसता अपनाई, उसके फलस्वरूप भारत में भड़के हिंसात्मक दंगों के पीछे सोवियत रूस का हाथ है। भारत की घटनाओं की इस तरह व्याख्या करने की विचारधार स्ट्रूब के इस कार्टून में देखी जा सकती है जो बीवरबुक प्रेस के मुख्य पत्र - कांग्रेस के अत्यंत तीव्र विरोधी डेली एक्सप्रेस के कार्टूननिस्ट ने बनाया था।
सत्याग्रह से विलिंगडन बड़ी उलझन में पड़ गये हैं। 15 जुलाई 1933 को गांधी जी ने उन के नाम एक तार भेजा जिसमें एक मुलाकात निश्चित करने के लिये कहा गया था ताकि संवैधानिक सुधारों के प्रश्न पर कांग्रेस और सरकार के मतभेद को शांतिपूर्वक और सम्मानजनक ढंग से हल करने के लिये बातचीत हो सके। विलिंगडन ने यह स्वीकार नहीं की। होर ने हाउस ऑफ कॉमन्स में कहा : हमने कह दिया है कि हम बातचीत करना नहीं चाहते और हम अपने इस फैसले पर अडि्ग हैं। मिस्टर गांधी एक तरफ तो सरकार से बात करना चाहते हैं, दूसरी ओर सविनय अवज्ञा के अपने अशर्त हथियार को भी अक्षुण्ण रखना चाहते हैं। मैं फिर कह दूं - कानूनों को पालन करने का दायित्व इन्हीं लोगों का है ओर इस के लिये कांग्रेस से किसी किस्म का समझौता करने का सवाल पैदा नहीं होता।
माली ने गांधी जी को अपने कंधों पर समूचा राष्ट्र उठा कर चलते हुए दिखाया है। इंग्लैंड से वापसी पर उन्हें नई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिनसे गोल मेज सम्मेलन और मैकडॉनल्ड द्वारा दिये गये आश्वासनों का खोखलापन उजागर हो गया। 3 जनवरी 1932 को उन्होंने वाइसराय को सूचना दी कि कांग्रेस बिना किसी दुर्भावना के और बिल्कुल अहिंसक ढंग से सविनय अवज्ञा आंदोलन पुन: छेड़ेगी। विलिंग्डन ने तुरंत प्रहार किया। उसने अगली सुबह गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया। जब तक सरकार चाहे तब तक बंदी बनाये रखने के लिये उन्हें यरवडा ले जाया गया। अन्य कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारियां इसके बाद हुई।
30 जनवरी 1948 की शाम को पांच बजे के कुछ मिनटों बाद चंद गोलियों ने गांधी जी की जान ले ली। वे अपने होठों से हे राम कहते हुए सिधार गये। उन्होंने अपना जीवन एक ध्येय एक उद्देश्य के लिये बलिदान कर दिया और अपने अंतिम दिनों में तन-मन से उसी के लिये काम करते रहे। वह ध्येय था राष्ट्रीय एकता की पुन: स्थापना - वह एकता जो स्वाराज्य के जन्म के साथ ही साम्प्रदायिक बर्बरता के आगे टूट कर बिखर गई थी। अपनी अटूट आस्थाओं और देश प्रेम की इतनी बड़ी कीमत ! लेकिन जो लौ उन्होंने जलाई है, वह हमेशा-हमेशा जलती रहेगी।
15 comments:
बहुत सुन्दर और प्रभावशाली रचना
बहुत बढिया पोस्ट है।जानकारी के लिए आभार।
nice post vineeta ji
ghandhi ji ke vichar aaj bhee prasangik hai bhale hi hamare desh ke neta ghandhi ka anuyayi hone ka dhong karte hai .
गांधीजी के विचारों की शक्ति ही उन्हें आज भी आम आदमी के दिलोदिमाग में संजोए हुए है, मगर अफ़सोस कुछ लोग आज भी उनपर अपनी बंदूकें ताने हुए हैं.
उनके विचारों को संजोने का प्रयास मैं भी अपने ब्लॉग 'gandhivichar.blogspot.com' पर कर रहा हूँ. स्वागत आपका भी.
बापू को स्मरण करने का सुंदर प्रयास है आपका !
"गाँधी"
मोहन दास करमचंद गाँधी उस महात्मा का
नाम है जिसे दो ध्रुवों के बीच समन्वय स्थापित करने की कला में महारत हासिल थी !
वह अपने व्यवहार में संत था और
विचारों में क्रांतिकारी !
वह इश्वर में अनन्य आस्था रखने वाला
आस्तिक था तो मंदिरों के रीति रिवाज के
विरुद्ध खड़ा होने वाला नास्तिक भी !
वह महात्मा सनातनी हिंदू था ,
लेकिन उसकी प्रार्थना सभाओं में
सारे धर्मों की प्रार्थनाएं गूंजती थीं !
वह अहिंसा को अपने राजनीतिक-सामाजिक
जीवन का मूल मंत्र मानकर चलता था तो
करो या मरो का नारा भी दे सकता था !
वह इतना व्यस्त था की उसके पास अपने लिए
भी समय नही था और उसके पास इतना समय
था की हर किसी से मिल लेता था |
वह इतना खुला था की उसके घर और आश्रम के दरवाजे सबके लिए खुले रहते थे ,
इतना अधिक रहस्यमयी था की उसके व्यक्तित्व की गुत्थियाँ आज भी उलझी हैं !
वह देवता नही था लेकिन
देवदूत बन गया था ! .........
क्या-क्या लिखूं , कितना लिखूं ?
क्या गांधी सिर्फ़ एक नाम है ?
नही !
गांधी नाम है क्रान्ति का .......
एक विचार का ..........
और विचार कभी मरते नही !
गांधी की प्रासंगिकता हमेशा रहेगी
बढ़िया जानकारी मिली है इस लेख के माध्यम से शुक्रिया
अत्यन्त सुन्दर और प्रभावशाली क्लेक्शन. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
Vineeta ji is post ko dekh ke to dil gadgad ho gaya..
Bahut achha collection hai apka.
Vineeta apne bahut hi achha kaam kiya hai.
apki jitni bhi tarif ki jaye kam hai.
बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी. गाँधी जी का बलिदान यों ही नही जाएगा. आभार.
आपका ये लेख और आपके ये कार्टून मुझे बहुत पसंद आये .......
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
सच्ची श्रद्धांजलि।
अनोखा संक्लन है-अच्छी लगी प्रस्तुति. आभार
आपने तो यहाँ गजब ही कर दिया है........सच.........!!
इस ऐतिहासिक सामग्री से परिचय कराने का आभार।
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